बलाड़िया का बाड़िया के राजकीय प्राथमिक विद्यालय के हालात में एक शिक्षक ने अपने दम पर बदलाव ला दिया। 12 साल के संघर्ष का नतीजा अब किसी आदर्श सरकारी स्कूल के रूप में सामने आया है। उपखंड मुख्यालय से केवल 5 किलामीटर दूर यह स्कूल 2007 तक आम सरकारी स्कूलाें की तरह था। स्कूल की जमीन पर अतिक्रमण थे। खाली जगह में झाड़ियां उगी थीं। छात्र मिट्टी में बैठा करते थे। मवेशी घुस आते थे।
तृतीय श्रेणी अध्यापक प्रभुलाल हठीला की नियुक्ति हाेने के साथ स्कूल का कायाकल्प शुरू हुआ। संसाधनाें के विकास और पढ़ाई का महाैल बनाने के लिए भामाशाहाें की मदद मिली ताे ठीक अन्यथा प्रभुलाल ने स्वयं खर्च किया क्याेंकि वे कहते हैं, यही मेरी कर्मभूमि है। सबसे पहले संघर्ष शुरू हुआ अतिक्रमण हटवाने का।
चार- छह महीने नहीं, बल्कि पूरे नाै साल उन्हाेंने विभागाें के चक्कर काटते हुए कागजात तैयार कराए। कानूनी पेचीदगियों का मुकाबला करते हुए 0.80 हैक्टेयर भूमि को 2016 में सीमांकन करवाकर अतिक्रमण हटवाए। अब नामांकन 66 का है जाे कभी केवल 30 हुआ करता था।
कब क्या कराया गया स्कूल में
- सत्र 2016 : परिसर व खेल मैदान काे समतल करवाया गया।
- सत्र 2017-18: पहली बार 62वीं जिला स्तरीय प्राथमिक क्रीड़ा एवं साहित्यक व सांस्कृतिक प्रतियोगिता करवाई।
- सत्र 2018-19: परिसर में 400 छायादार पौधे लगाए गए। छात्राें के लिए डेस्क बनवाईं। लाेकार्पण समाराेह में आए तत्कालीन उपखंड अधिकारी अतहर आमीर खान ने प्रभावित होकर भामाशाहों, जनप्रतिनिधियों के सहयाेग से हर स्कूल के लिए ऐसी व्यवस्था की जरूरत बताई। इसके बाद करीब एक हजार डेस्क स्कूलाें में पहुंची। मंगरा विकास याेजना से पांच लाख रुपए लागत से चारदीवारी बनी।
- सत्र 2019-20 : शाला दर्पण याेजना से सीमेंट की रंगीन टाइल्स लगवाई गई। उद्यान बनाया गया। पाैध राेपण का काम जारी है।
विकास का यह सिलसिला जारी रहेगा
स्कूल के बाहर भी और पाैधे व ट्री-गार्ड लगाए जाएंगे। कंप्यूटर शिक्षा की शुरुआत की जाएगी। गुरुवार काे प्रत्येक छात्र सफेद गणवेश में आएगा जाे उपलब्ध करवाएंगे। सभी काे टाई, बेल्ट व बैंच उपलब्ध करवाना लक्ष है। बालिका शिक्षा के प्रति अभिभावकाें काे जागरुक करने के लिए विशेष कार्ययाेजना है।
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