राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर ने कहा कि मेयर की शक्तियों को किसी भी प्रशासनिक आदेश से रोका नहीं जाएगा। मेयर की शक्तियों पर डीएलबी की रोक को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने यह स्थगनादेश जारी किया। इससे डीएलबी के प्रदेशभर में जारी वे आदेश एकबारगी प्रभावहीन हो गए हैं, जिनमें मेयर की शक्तियों पर कटौती या रोक लगा दी गई थी।
मेयर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने स्वायत्त शासन विभाग (डीएलबी ) की ओर से जारी शक्तियों पर रोक से संबंधित आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कहा था कि म्युनिसिपल एक्ट में 2017 के संशोधन को अधिकारी मान नहीं रहे हैं। हाईकोर्ट ने डीएलबी के आदेश पर आगामी तारीख तक रोक लगा दी है। साथ ही 2017 के संशोधन अधिनियम के प्रावधानों की सख्ती से पालना करने के निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, स्वायत्त शासन विभाग के संयुक्त सचिव, डायरेक्टर और बीकानेर निगम आयुक्त को नोटिस जारी किए हैं। इन्हें 4 सप्ताह में जवाब पेश करना होगा। हाईकोर्ट में मेयर सुशीला कंवर की ओर से एडवोकेट श्याम लदरेचा पैरवी कर रहे हैं।
क्या है म्युनिसिपल एक्ट में संशोधन
म्युनिसिपल एक्ट 2009 की धारा 49 एवं 332 में किया गया संशोधन 18 मई, 2017 को प्रभावी हो गया था। राज्य सरकार ने 9 नवंबर को इस संबंध में एक आदेश जारी किया। संशोधित प्रावधानों के तहत धारा 49 एवं 332 सपठित धारा 337 के तहत सभी नगरीय निकाय प्रमुख को वित्तीय एवं प्रशासनिक नियंत्रण के पूर्ण अधिकार दिए गए थे। हाईकोर्ट ने इन्हीं संशोधित प्रावधानों के अनुसार निर्देश दिए हैं।
क्या था डीएलबी का आदेश
स्वायत्त शासन विभाग के तत्कालीन निदेशक उज्ज्वल राठौड़ ने 16 जून को एक आदेश जारी किया था। राज्य की सभी पालिकाओं, परिषद और निगमों को जारी आदेश में कहा था कि महापौर, सभापति, अध्यक्ष विकास और निर्माण से संबंधित व अन्य पत्रावलियां अनावश्यक रूप से स्वयं के पास रोके रखते हैं।
इससे प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है। निदेशक ने आयुक्त को स्पष्ट निर्देश दिए कि निर्माण, विकास या अन्य किसी प्रकरण से संबंधित वही पत्रावली भेजी जाए, जो नियमों के अंतर्गत आती है। निदेशक ने निर्देश दिए थे कि कोई कर्मी महापौर को सीधे पत्रावली पेश नहीं कर सकेगा। पत्रावली आयुक्त के माध्यम से ही भेजी जा सकेगी।
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