चिटफंड कंपनियों द्वारा ठगी करने के मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, सीबीआई, आयकर विभाग, ईडी आदि को एक साल बाद भी नोटिस तामील नहीं हो पाए। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इंद्रजीत महांति व जस्टिस विजय विश्नोई की खंडपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता को हाईकोर्ट में इन विभागों की पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं से नोटिस तामील कराने के आदेश दिए। अगली सुनवाई 24 अगस्त मुकर्रर की।


विश्नोई टाइगर वन्य एवं पर्यावरण संस्थान की ओर से अधिवक्ता विपुल सिंघवी ने जनहित याचिका दायर की थी। पिछले साल मई में हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव राजस्थान, डीजीपी राजस्थान, सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग, भारतीय जीवन बीमा निगम, भारतीय रिजर्व बैंक, आर्थिक अपराध शाखा, को-ऑपरेटिव सोसायटी दिल्ली, सीमैक्स मार्केटिंग लि. व पीआर बिजनेस सोल्यूशन प्रा.लि. व अन्य को नोटिस देकर जवाब तलब किया था। कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि कंपनी सभी संपत्ति का ब्यौरा शपथ पत्र के साथ पेश करे और संपत्तियों को खुद-बुर्द व हस्तांतरण नहीं कर सकती, लेकिन इनमें ज्यादा नोटिस तामील नहीं हो पाए।

शुक्रवार को चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को प्रदेश के मुख्य सचिव व डीजीपी के नोटिस महाधिवक्ता के ऑफिस में तामील कराने के निर्देश दिए। यह भी छूट दी कि वे सीबीआई का नोटिस अधिवक्ता पन्नेसिंह रातड़ी, आयकर विभाग के महानिदेशक व मुख्य आयकर आयुक्त जयपुर का अधिवक्ता केके बिस्सा, ईडी, भारतीय रिजर्व बैंक, आर्थिक अपराध शाखा, को-ऑपरेिटवि सोसायटी का नोटिस असिस्टेंट सॉलिसीटर जनरल संजीत पुरोहित को तामील कराने की छूट दी है।

400 करोड़ का घपला करने का आरोप
इसमें बताया गया कि संभाग के कई जिलाें में सीमैक्स मार्केटिंग लिमिटेड, पीआर बिजनेस सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड व अन्य कंपनियों ने दफ्तर खोले थे। निवेशकों को दो-तीन गुना रिटर्न का प्रलोभन देकर करीब 400 करोड़ वसूले और कंपनियां बंद हो गईं। आरोपियों ने एलआईसी का फर्जी लोगो इस्तेमाल करके भी निवेशकों को झांसे में फंसाया।

निवेशकों ने बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, पाली, जालोर, नागौर, सांचोर सहित कई जिलों में धोखाधड़ी कर लाखों रुपए ऐंठने के मामले भी दर्ज करवाए हैं। इन कंपनियों ने अलग-अलग नाम बदलकर दुगुनी रकम और ज्यादा ब्याज देने का झांसा देकर लोगों से निवेश कराया था।

चिटफंड कंपनियों का सेबी व आरबीआई से पंजीयन ही नहीं
याचिका में बताया गया कि नियमानुसार चिटफंड कंपनियों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) व भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) से पंजीयन करवाना चाहिए, लेकिन इन्होंने नहीं करवाया। सीमैक्स क्रेडिट को-आपरेटिव सो.लि. के नाम से कृषि एवं सहकारिता विभाग, कृषि विभाग कृषि भवन दिल्ली में पंजीकृत करवाया गया। चिटफंड प्लाट स्कीम (पेरामिण्ड पांेजी) व सोसायटी के नाम से पैसा एकत्र करने की स्कीम पूर्णतया अवैध है।

मिलते-जुलते कंपनियों के नाम से करते थे धोखाधड़ी
सीमैक्स मार्केटिंग प्रा.लि., सीमैक्स मार्केटिंग लि., साइबर मैक्स इंश्योरेंस कन्सलमेंट प्रा.लि., साइबर मैक्स मैनेजमेंट कांटलमेंट प्रा.लि., सीमैक्स बाजार, साइबर मैक्स फाउंडेशन, सीमैक्स क्रेडिट को-आॅपरेटिव सोसायटी लि., पीआर बिजनेस सोल्यूशन प्रा.लि., सीमैक्स ग्लोबल मार्केटिंग प्रा.लि. के नाम से कंपनियों ने दफ्तर लगाए और धाेखाधड़ी की। केंद्र सरकार काॅर्पोरेट कार्य मंत्रालय दिल्ली से मिली जानकारी के मुताबिक ये अधिकांश कंपनियां बंद पाई गई हैं।



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After one year, the notice is not served, the court ordered to serve the lawyers of the departments concerned
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