फेफड़े के कैंसर के मरीज कोरोना वायरस से ग्रसित हो जाने पर श्वसन संबंधी गंभीर लक्षण बना सकते हैं, जो कि जानलेवा हो सकते हैं। आज कोरोना के पूरे विश्व में लगभग 1.70 करोड़ से ज्यादा केस हो चुके हैं। देश में 16 लाख पार संक्रमित हाे चुके हैं, जबकि माैताें का आंकड़ा 36 हजार हाे चुका है। कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. हर्ष गोयल बताते हैं कि कैंसर से पीड़ित मरीजों में कोरोना वायरस की आशंका ज्यादा होती है, क्योंकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। उनमें कई श्वसन संबंधी बीमारियां पहले से ही होती है, उन्हें कैंसर का कोई इलाज जैसे कि इम्युनोथैरेपी-कीमोथैरेपी चल रही होती है। डॉ. हर्ष के मुताबिक वर्ष 2018 में देश में 48 हजार 698 लोगों को फेफड़ों का कैंसर था, जिसमें से 45 हजार 363 लोगों की मौत हो गई।

फेफड़े का कैंसर पुरुषों में ज्यादा होता है, इसका प्रमुख कारण धूम्रपान, तंबाकू गुटखा खाना। तंबाकू से निकलने वाले केमिकल फेफड़े की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। धूम्रपान फेफड़े के कैंसर को 30 गुना ज्यादा बढ़ा देता है। एक सिगरेट से 40 से ज्यादा कैमिकल निकलते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं।

इसके अलावा जैसे कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री, टैक्सटाइल इंडस्ट्री जैसी जगहों पर काम करने वाले लोगों में एसबेस्टोज कैमिकल और कोयला जलने से उठे धुएं से, फेफड़ों में इंफेक्शन से, परिवार में फेफड़े के कैंसर की हिस्ट्री होने से फेंफड़े का कैंसर बन सकता है।

फेफड़े के कैंसर के लक्षण: लंबी खांसी, इलाज के बावजूद खांसी का ठीक नहीं होना, सांस लेने में तकलीफ, खांसी के साथ खून आना, वजन में कमी, भूख में कमी, छाती में या कंधे में दर्द प्रमुख हैं।
इससे बचने के उपाय: धूम्रपान छोड़ें, अपने आसपास धूम्रपान करने वालों से दूरी रखें। खान-पान में सब्जी और फल की मात्रा ज्यादा लें, शारीरिक व्यायाम नियमित जारी रखें।



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