प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा एक लाख 33 हजार के पार और इनमें से 1471 लोग दम तोड़ चुके है। लेकिन कोरोनाकाल में भी पशुपालन विभाग करीबन 7 हजार कर्मचारियों की जान जोखिम में डालकर पशुओं के टीकाकरण व टेगिंग अभियान की तैयारी कर ली है।

संक्रमण के बीच पशु चिकित्सा अधिकारी, पशु चिकित्सा सहायक और पशुधन सहायकों के लिए 12 अक्टूबर से प्रस्तावित अभियान चुनौती बन गया है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि अभियान के दौरान सोशल डिस्टेसिंग की पालना कैसे होगी। विभाग की ओर से कर्मचारियों को न तो मास्क, हैंड सेनिटाइजर और पीपीई किट तक नहीं दिया गया।

ऐसे में अभियान शुरू होने से पहले ही सवालों के घेरे में आ गया है। विभाग की लापरवाही तो देखिए कि जयपुर की पांच बत्ती स्थित पॉलि क्लीनिक, दुर्गापुरा व जगतपुरा पशु चिकित्सालय में कोरोना संक्रमित पाए जाने के बावजूद मास्क, हैंड सेनिटाइजर, दस्ताने तक किसी भी स्टाफ को नहीं दिए गए। और ना ही अस्पताल में आने वाले पशुपालकों की थर्मल स्कैनर से जांच की जा रही है। कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में इनका जीवन संकट में पड़ सकता है।

  • कोरोना महमारी को देखते केन्द्र सरकार से बातचीत जारी है। उसके बाद में ही अभियान प्रारंभ करने की तिथि तय होगी। मास्क, हैंड सेनिटाइजर के लिए हरेक पशु चिकित्सालय के लिए बजट आवंटित कर रखा है। - डॉ.वीरेन्द्र सिंह, निदेशक, पशुपालन विभाग
  • कोरोना के दौरान फैल रहे संक्रमण को देखते हुए अभियान को स्थगित करना चाहिए। अन्यथा कर्मचारियों में संक्रमण फैल सकता है। कर्मचारियों की जिंदगी बचाने के लिए सरकार को थर्मल स्कैनर, मास्क और हैंड सेनिटाइजर देें। - अर्जुन शर्मा, प्रमुख महामंत्री, राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी महासंघ


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प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा एक लाख 33 हजार के पार और इनमें से 1471 लोग दम तोड़ चुके है
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