प्रदेश के नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) में पेयजल सप्लाई प्रोजेक्ट के काम में करोड़ों रुपए की धांधली सामने आई है। जब जनप्रतिनिधियों व स्थानीय लोगों ने शिकायत की तो जलदाय विभाग ने इंजीनियरों ने बहरोड व तिजारा में काम करने वाली ठेकेदार फर्म डीम कंस्ट्रक्शन कंपनी से करीब 13 करोड़ रुपए की वसूली निकाली है। इसके साथ ही 2.27 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी पर एफआईआर दर्ज करवाने की प्रक्रिया शुरू की है।
ठेकेदार की फर्जी बैंक गारंटी लेने वाले व बिना सामान व कार्य के ही गलत पेमेंट करने वाले एक भी एक्सईएन के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। बताया जा रहा है कि इनमें से एक एक्सईएन अशोक कुमार को ठेकेदार कंपनी की सिफारिश पर ही राजधानी में पोस्टिंग दी गई है।
प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग व पेमेंट करने वाले एक्सईएन अशोक कुमार यादव, धर्मवीर यादव, मनोहर सिंह व वर्तमान में एक्सईएन धर्मेंद्र सोनी (डीके सोनी) है। जलदाय विभाग के प्रमुख सचिव राजेश यादव का कहना है कि यह प्रक्रियाधीन है।
जिम्मेदारों के जवाब
एक्सईएन अशोक कुमार यादव का कहना है कि मुझे तो प्रोजेक्ट छोड़े हुए बहुत दिन हो गए है। जो मामले है वे डीके सोनी के समय के है। मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है।
एडिशनल चीफ इंजीनियर बीएस मीना का कहना है कि डीम कंपनी ने मुंबई के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की दो करोड़ 27 लाख की बैंक गारंटी दी थी। बैंक ने बैंक गारंटी नहीं देने के बारे में बताया हैै। एक्सईएन डीके सोनी ने बताया कि मैने कोई गड़बड़ी नहीं की।
15 करोड़ रुपए खर्च हुए फिर भी नहीं मिला पानी
एनसीआर के बहरोड में पेयजल सप्लाई के लिए एनसीआरपीबी फंड से तीन साल पहले 24 करोड़ की योजना शरू क थी। डीम कंस्ट्रक्शन कंपनी ने समय पर काम पूरा नहीं किया। शिकायतों के बाद जलदाय विभाग व केएफडब्ल्यू की टीमों ने फिजिकल व फाइनेंशियल जांच में अनियमितताएं मिली है।
रिपाेर्ट चीफ इंजीनियर सीएम चौहान व प्रमुख सचिव राजेश यादव को सौंप दी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे पेयजल स्कीम का एक भी उपभोक्ताओं को फायदा नहीं मिला है, जबकि कंपनी को 15 करोड़ का पेमेंट कर दिया।
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