कोरोना वायरस ने सीकर की नींव एजुकेशन इंडस्ट्री को पूरी तरह हिला दिया है। सीकर में 2049 प्राइवेट स्कूल हैं और इनमें 10 लाख से ज्यादा छात्र पढ़ाई करते हैं। सात महीने से स्कूल बंद हैं। हॉस्टल में बच्चे नहीं है। सीकर की आबादी में अभी 1.25 लाख लोग कम हैं। इनमें स्कूली बच्चे हैं और एजुकेशन इंडस्ट्री से जुड़े लोग शामिल हैं। निजी स्कूल संघ के डेटा बताते हैं कि इन 1.25 लाख लोगों के सीकर में नहीं होने से अब तक 1134 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।
वहीं सीकर में पढ़ने वाले 10 लाख बच्चों की क्लास नहीं चलने से स्कूल एजुकेशन इंडस्ट्री को सात महीनों में 2184 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। स्कूलों के सामने भी बड़ी चुनौती यह हो गई है कि स्कूली वाहन के इंश्योरेंस से लेकर बिजली-पानी का बिल चुकाने के लिए भी जेब से ही रुपए लगाने पड़ रहे हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि स्कूल खुलने के बाद भी 40 फीसदी कर्मचारियों को फिर से नौकरी नहीं मिल सकेगी। इसलिए इनके लिए सरकार से बेरोजगारी भत्ते की मांग भी उठने लगी हैं।
5 सबसे बड़ी चुनौती : 30 फीसदी कर्मचारियों से चल रहे स्कूल, सभी क्लासें नहीं लगी तो 30 फीसदी स्कूल बंद हो जाएंगे
1. इंश्योरेंस : स्कूलों की 5000 बसें सात महीने से खड़ी हैं। छोटी स्कूल के पास तीन से चार तो बड़ी स्कूलों के पास 70 से 90 बसें हैं। स्कूलों का कहना है कि आधी बसों की बैटरी खराब हो चुकी है। एक स्कूल को 30 से 40 लाख रुपए इंश्योरेंस देना होगा। इतनी बड़ी राशि वे वहन मुश्किल ही कर सकेंगे।
2. बिजली बिल : बड़ी स्कूलों में 100-100 किलोवॉट के कनेक्शन हैं। लॉक डाउन में बंद स्कूल में भी 27 से 98 लाख रुपए तक के बिल चुकाए हैं। तर्क है कि 100 किलोवॉट के कनेक्शन पर 27 हजार रुपए फिक्स चार्ज व 20 हजार रुपए फ्यूल चार्ज की मुसीबत आ ही जाती है।
3. कर्मचारी : अभी हर स्कूल 30 फीसदी कर्मचारियों से ही काम चला रहे हैं। एक आंकड़ा है कि स्कूलों में 50 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। इनमें से महज 30 फीसदी ही अभी काम कर रहे हैं। तर्क है कि स्कूल खुलने के बाद भी 40 फीसदी कर्मचारियों को नौकरी मिलना मुश्किल हो जाएगा।
4. ब्याज : स्कूल बैंकों से ब्याज लेकर रखते हैं। स्कूल संचालकों ने सरकार के सामने भी यह परेशानी रखी है कि फीस नहीं आने की वजह से वे ब्याज नहीं दे पा रहे। इसलिए ब्याज की किश्तों में उन्हें छूट मिलनी चाहिए। कई स्कूल संचालकों ने इस बार स्कूलें बंद करके दूसरे काम भी शुरू कर दिए हैं।
5. ग्रामीण क्षेत्र : 85 फीसदी स्कूलें ग्रामीण क्षेत्रों में है। सबसे बड़ा संकट इनके सामने ही हैं। स्कूल शिक्षा परिवार का कहना है कि अगर सभी क्लासें नहीं खुली तो 30 फीसदी स्कूलें बंद हो जाएगी। क्योंकि-एक बच्चा भी आता है तो उनके लिए शिक्षक रखना होगा और छोटे स्कूल इतना खर्च वहन नहीं कर सकते।
सीकर की एजुकेशन इंडस्ट्री की फायदे वाली बैलेंस शीट अब माइनस में क्यों चल रही है?
1.25 लाख छात्र व अन्य लोग हर महीने 162 करोड़ का नुकसान
ये वो छात्र व लोग हैं, जो सीकर में रहकर पढ़ाई करते हैं और एजुकेशन के विभिन्न कारोबार से जुड़े हुए हैं। ये लोग अभी सीकर में नहीं है। ये हर महीने करीब 13 हजार रुपए विभिन्न मद में खर्च करते हैं। इनमें 5 हजार रुपए तो खाने पर ही खर्च होते हैं। जबकि 3 हजार रुपए सीकर के बाजारों में विभिन्न खरीदारी पर खर्च होते थे। लॉकडाउन के बाद से ये पैसा बाजार में नहीं आ रहा है।
अभी का गणित : ये 1.25 लाख लोग अभी सीकर में नहीं है। यानी करीब 162 करोड़ रुपए सीकर की इकोनॉमी में नहीं आ रहे। इससे एजुकेशन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के अलावा बाजार को भी सीधा नुकसान हो रहा है।
सीकर शहर में 40 हजार छात्र और 52 करोड़ रुपए का घाटा
सीकर शहर में 40 हजार छात्र स्कूलों में पढ़ाई करते हैं। स्कूलें बंद हैं तो यह छात्र भी फीस नहीं चुका रहे हैं और न ही किसी तरह का अन्य खर्चा मार्केट में कर रहे हैं।
अभी का गणित : इन स्टूडेंट्स से करीब 52 करोड़ रुपए का नुकसान सीकर शहर की एजुकेशन इंडस्ट्री को हो रहा है। अभी कुछ बड़े स्कूल ही ऑनलाइन क्लासें शुरू कर पाए हैं।
सीकर जिले में 9 लाख छात्र और 1050 करोड़ रुपए माइनस में
जिले में 9 लाख छात्र पढ़ते हैं। इनमें शहर के छात्र शामिल नहीं है। हर छात्र पढ़ाई पर सालभर के 20 हजार खर्च करता है। यानी सीकर में ये छात्र 1800 करोड़ पढ़ाई पर खर्च करते हैं।
अभी का गणित : 15 अक्टूबर के बाद किस तरह खुलेंगे और कौनसी क्लासें खुलेंगी, यह बड़ी चुनौती है। सात महीने का नुकसान देखें तो 1050 करोड़ का सीधा नुकसान है।
आगे के 6 महीने और एजुकेशन इंडस्ट्री का भविष्य
स्कूल संचालक चाहते हैं कि कक्षा 6 से 12वीं तक के स्कूल 15 अक्टूबर के बाद खोल दिए जाने चाहिए। स्कूल घाटे में जरूर चलेंगे, लेकिन आगे का सत्र प्रभावित नहीं होगा। सरकार अगले हफ्ते तक स्कूलों के लिए गाइडलाइन बना सकती है। इसमें कक्षा पांचवीं तक के स्कूल बंद रखे जा सकते हैं।
भास्कर एक्सपर्ट : (बीएल रणवां-जिलाध्यक्ष सीकर निजी स्कूल संघ, जोगेंद्र सुंडा-चेयरमैन पीसीपी ग्रुप, रामनिवास ढाका-निदेशक केशवानंद भढाढर, सुरेश चौधरी-जिलाध्यक्ष स्कूल शिक्षा परिवार सीकर)
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