
(प्रहलाद तिवारी)
सरकारी स्कूलों में निशुल्क किताब वितरण के परिवहन ठेके से जुड़ा चौंकाने वाला मामला सामने आया है। किताबों का वितरण होने के बाद परिवहन के टेंडर किए।
तब तक पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (पीईईओ) स्वयं के या किराए के वाहन से ब्लॉक नोडल विद्यालय से किताबें ले गए। देरी से ठेका करने का नतीजा ये है कि अब संस्था प्रधानों को विद्यालय विकास कोष या अन्य मद में यह राशि चुकानी होगी।
विकास फंड से यदि राशि चुकाते हैं तो मीटिंग में अनुमति भी लेनी होगी, जो इन दिनों नहीं हो रही है। भास्कर पड़ताल में खुलासा हुआ है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशालय केे 12 मई को किताबों के वितरण के जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए। एक से 10 जून तक पहला चरण एवं जून के अंतिम सप्ताह में दूसरे चरण की किताब पहुंचाई जानी थी। ब्लॉक नोडल विद्यालयों से पीईईओ को अपने क्षेत्र के विद्यालयों के लिए पुस्तकें पहुंचाने की जिम्मेदारी दी।
सरकारी स्कूलों में बच्चों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें पहुंचाने के लिए इस बार व्यवस्था में बदलाव किया गया। पाठ्य पुस्तक मंडल ने ब्लॉक नोडल विद्यालय तक किताबें पहुंचाई। इसके आगे की जिम्मेदारी विभाग की थी। कुछ प्रधान ने ठेका होने से पहले अपने स्तर पर किताबें ले गए। इनके भुगतान को लेकर फैसला नहीं हुआ है।
कमलेश शर्मा, सहायक निदेशक
पीईईओ ने जून में स्वयं या किराए के वाहन से पहंुचाई किताबें; 4.66 लाख के टेंडर के आदेश जुलाई में किए
व्यय का भुगतान मंडल की ओर से करवाने के भी निर्देश दिए। इसी आधार पर सभी पीईईओ ने पुस्तकों अपने विद्यालय तक किताबें पहुंचा दी। शिक्षा विभाग की लापरवाही इसके बाद सामने आती है। निदेशालय ने 24 जून को एक आदेश जारी कर मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी को ब्लॉक नोडल विद्यालय से पीईईओ विद्यालय तक निशुल्क पुस्तकें परिवहन के लिए टेंडर करने के निर्देश दे दिए। मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी स्तर पर निविदा आमंत्रित की। प्रक्रिया के बाद 9 जुलाई को निजी एजेंसी को कार्य आदेश दिया। तब तक किताब वितरण का दूसरा चरण भी पूरा हो गया। इस दौरान पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (पीईईओ) स्वयं के या किराए के वाहन से ब्लॉक नोडल विद्यालय से किताबें ले गए। संस्था प्रधानों का कहना है विभाग की अाेर से पूर्व में ही टेंडर करके वर्क ऑर्डर जारी कर दिया जाता तो इसका पूरा भुगतान पाठ्यपुस्तक मंडल की ओर से उठाया जा सकता था। अब संस्था प्रधानों को विद्यालय विकास कोष या अन्य मद में यह राशि चुकानी होगी। शुरुआती दौर में यह टेंडर 4.66 लाख रुपए का हुआ है, जो बढ़ सकता है।
9वीं-12वीं तक के विद्यार्थियों को दी जाती हैं निशुल्क किताबें...
सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत आठवीं तक के विद्यार्थियों तथा 9 से 12 की सभी छात्राओं तथा एससी, एसटी तथा उन छात्रों को जिनके अभिभावक आयकर दाता नहीं है। को निशुल्क किताबें वितरण का प्रावधान है। गत साल तक पीईईओ विद्यालय तक किताबें पहुंचाने की जिम्मेदारी पाठ्यपुस्तक मंडल की निभा रहा था। लेकिन इस साल मंडल सचिव से प्रदेश के सभी प्रबंधकों ने बीईईओ लेवल तक पहुंचाने की व्यवस्था की मांग की। इसके बाद नई प्रक्रिया शुरु की।
पहले चरण में सबसे ज्यादा किताब बांटी गईं, खुद ले गए
पीईईओ ने पहले चरण में आई 11 लाख 27,591 किताबें अपने स्तर पर ब्लॉक नोडल अपने विद्यालय तक ले गए। जिन्हें बच्चों को वितरित कर दी। जिले में 21 लाख किताबें आनी थीं। वे दूसरे व बाकि तीन चरणों में किताबें ठेकेदार ने पहुंचाई। अब सब सभी आ चुकी हैं। दूससे ज्यादा किताबें पहले चरण में पांच लाख किताबें थीं। वे ठेकेदार नहीं पहुंचा पाया। जिन किताबों को निजी एजेंसी ने पहुंचाया उनका भुगतान ही ठेकेदार को किया जाएगा।
जिले में पांच चरणों वितरित की जानी थी किताब...
राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल ने अब तक पांच चरणों में जिले के ब्लॉक नोडल विद्यालयों तक 21 लाख 42,337 किताबें पहुंचा चुका है।
11.27
लाख किताबें जानी थीं पहले चरण में एक से 30 जून तक
53874
किताबें दूसरे चरण में
5.54 लाख किताबें तीसरे चरण में
61501
चौथे चरण में
45299
पांचवां चरण
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