विलक्षण प्रतिभा संपन्न व संत रत्न थे जैन दिवाकर चौथमल महाराज। वे समाज सुधारक भी थे। यह बात शनिवार काे शास्त्रीनगर स्थित अहिंसा भवन में प्रवर्तक सुकन मुनि ने जैन दिवाकर चौथमल महाराज की 144वीं जंयती पर आयाेजित कार्यक्रम काे सम्बोधित करते हुए कही। उन्हाेंने कहा कि जैन दिवाकर सच्चे अर्थों में समाज सुधारक संत थे। उनके जीवन में वाणी और आचरण का अभूतपूर्व संगम था। वे पहले अपनी करनी देखते थे, फिर कथनी जीते थे। मुनिश्री वाणी के जादूगर थे। त्याग और समर्पण से युक्त उनका चारित्र तेजोमय था। सभी धर्मों के श्रद्धालुओं के मन में उनके प्रति गहरी श्रद्धा और आदर का भाव था।

निष्कामता, निर्लोभता और अविचलता के गुणों के प्रतीक संत थे। डॉ. वरुण मुनि ने उन्हें आर्दश संत बताया। हरीश मुनि व अखिलेश मुनि ने मानवता का मसीहा बताया।
इस दौरान अहिंसा भवन संरक्षक हेमंत आचंलिया, अध्यक्ष अशोक पोखरणा मन्त्री रिखबचन्द्र पीपाड़ा, हिम्मत सिंह बापना, महिला जैन कॉन्फ्रेंस की प्रांतिया अध्यक्ष पुष्पा गौखरू, पूर्व सभापति मंजू पोखरणा, कमला चौधरी, मंजू बापना आदि पदाधिकारियों ने चौथमल महाराज की जंयती पर गुणगान कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। मीडिया प्रवक्ता सुनिल चपलोत ने बताया कि जंयती के उपलक्ष में 47 भाई-बहनों ने एकासन व्रत के अलावा रात्री भोजन के त्याग का संकल्प लिया। नियमित धर्मचर्चा सुबह 9: 30 बजे से हाे रही है।

विदाई समारोह आज, कल लोकशाह जयंती पर करेंगे गुणानुवाद

शांतिभवन में श्री संघ की ओर से शनिवार काे साध्वी मैना कंवर अादि ठाणा के सानिध्य में गुरुदेव चाैथमल की 144वीं जयंती सामयिक दिवस के रूप में मनाई गई तथा उनका गुणगान किया गया। साध्वी मैना कंवर ने श्रावक-श्राविकाओं से प्रवचन में कहा कि जैन दिवाकर चौथमल महाराज ने अपने जीवन में सामाजिक एकता की बिखरी कड़ियों को जोड़ा। अपनी भाषा शैली में धारा प्रवाह प्रवचन करते हुए जैन जैनेतर समाज में एकता मंत्र का जयघोष किया। चौथमल ने जीवन भर साधना के साथ आत्मशक्ति को जगाने व संचित करने का प्रयास किया। साध्वी ज्योति प्रभा ने गुरुदेव के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी माता ने भी साध्वी बनकर देश के कोने कोने में अहिंसा, सत्य एवं क्षमा का प्रचार किया। संघ अध्यक्ष राजेंद्र चीपड़ ने कहा कि ऐसे तत्ववेता, विचारक, समाज सुधारक गुरुदेव चौथमल के जीवन से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। जैन कॉन्फ्रेंस की प्रांतीय अध्यक्ष पुष्पा गोखरू, निर्मला भड़कतिया, प्रकाश बाबेल ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आत्म कल्याण को समझने के लिए पहले हम आत्मा के सही अर्थ और उसकी व्याख्या को समझ लें। शरीर में आत्म रूप में परमात्मा बैठे हैं।

कार्यक्रम का संचालन मंत्री सुरेंद्र सिंह चौधरी ने किया। मीडिया प्रभारी मनीष बंब ने बताया कि रविवार को शांति भवन में विदाई समारोह सुबह 9 से 10:30 बजे तक होगा। जिसमें श्रावक श्राविकाएं कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए शामिल हाेंगे। वहीं सोमवार सुबह 8:30 से 9:30 बजे नवकार महामंत्र जाप तथा 9:30 से 10:30 बजे तक लोकशाह जयंती पर गुणानुवाद सभा साध्वी मैना कंवर के सानिध्य में होगी। इस दौरान सहमंत्री गोपाल लोढ़ा, कोषाध्यक्ष मदन लाल सिपानी, मनोहर लाल सूर्या, हेमंत बाबेल आदि उपस्थित थे।



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Chauthmal Maharaj's birth anniversary celebrated by sacrificing Ekasan and dinner in Ahimsa Bhavan
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