
(महावीर प्रसाद शर्मा) काेराेनाकाल में वैक्सीन के ट्रायल के साथ ही दवाओं के ट्रायल भी जाेर-शाेर से चल रहे हैं। इनमें ना केवल एलाेपैथिक बल्कि आयुर्वेदिक दवाएं भी शामिल हैं। ऐसी ही एक आयुर्वेदिक दवा है आयुष-64। इसका जोधपुर एम्स और राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर ने संयुक्त रूप से एम्स में भर्ती 60 मरीजों पर ट्रायल किया।
जोधपुर एम्स में यह ट्रायल और स्टडी पूरे 6 महीने तक गई गई। इस स्टडी में सामने आया कि इस मेडिसन का असर जरूर है। हालांकि शोधकर्ता डॉक्टर्स का कहना है कि अभी इनकी प्रामाणिकता के लिए बड़े पैमाने पर ट्रायल की जरूरत है।
इन्होंने की स्टडी
स्टडी में एम्स की ओर से प्रिसिंपल इंवेस्टीगेटर और एडिशनल प्रोफेसर डॉ. पंकज भारद्वाज और को-इंवेस्टीगेटर एम्स डायरेक्टर डॉ. संजीव मिश्रा, फार्माकोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयकरण चारण, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. निशांत चौहान, एडिशनल प्रोफेसर डॉ. नवीन दत्त, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की हैड डॉ. विजयलक्ष्मी नाग, एसोसिएट प्रोफेसर मेडिसिन डॉ. नरेश मिर्धा, बायोकैमिस्ट्री विभाग प्रोफेसर एंड हैड डॉ. प्रवीण शर्मा, पल्मोनरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रामनिवास, मेडिकल ऑफिसर आयुर्वेद डॉ. मीनाक्षी शर्मा शामिल थे।
वहीं राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की ओर से प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर डीन रिसर्च एसोसिएट प्रोफेसर पवन कुमार और को-इंवेस्टीगेटर डायरेक्टर प्रोफेसर संजीव शर्मा, शल्यतंत्र विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुमन शर्मा, पंचकर्म विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सर्वेशकुमार सिंह शामिल रहे।
6 माह स्टडीः 18-60 आयु के 60 मरीजों पर ट्रायल
- स्टडी में 18-60 आयुवर्ग के कोरोना मरीजों को 30-30 के दो ग्रुप में बांटा।
- दोनों ही ग्रुप के मरीजों को कोरोना के लिए स्टेंडर्ड ट्रीटमेंट एम्स में डॉक्टरों द्वारा दिया जा रहा था।
- एक ग्रुप को अतिरिक्त थैरेपी के तौर पर आयुष-64 देकर असर देखने को 6 माह स्टडी की गई।
- इन्हें दिन में तीन बार आयुष-64 टेबलेट, दो गोली नाश्ते के बाद, दो दोपहर के खाने के बाद व दो रात के खाने के बाद देते थे।
- जिस ग्रुप को स्टेंडर्ड ट्रीटमेंट के साथ आयुष-64 भी दे रहे थे, उनमें 70% मरीजों का आरटीपीसीआर टेस्ट 5 दिन में निगेटिव आया।
- जिसको केवल कोरोना का स्टेंडर्ड ट्रीटमेंट दे रहे थे, उनमें 53.33 % का ही आरटीपीसीआर टेस्ट नेगेटिव आया।
- इसका रिजल्ट यह निकला कि करीब 17 % मरीजों को आयुष-64 दवा से ज्यादा फायदा हुआ।
- स्टडी में शामिल डॉक्टरों का मत है कि आयुष-64 दवा का असर जरूर है, लेकिन इसकी वैधता और प्रमाणिकता के लिए बड़े पैमाने पर ट्रायल स्टडी की जरूरत है।
यूं बनती है आयुष 64 दवा
सप्तपर्ण, कटुकी, किरातिक्त और कुबेराक्ष को मिलाकर आयुष 64 दवा बनाई गई।
मरीजों पर कोई साइड इफैक्ट या गंभीर परिणाम नहीं हुए
ट्रायल में बुखार और अन्य आयुर्वेदिक मापदंडो के संदर्भ में दोनों समूहों में कोई सांख्यिकीय अंतर नहीं देखा गया। किसी भी मरीज मे ड्रग रिएक्शन नहीं पाई गई। किसी भी मर्जी को हायर डिपेंडेंसी वार्ड में शिफ्ट नहीं किया गया। किसी भी मरीज में मल्टी ऑर्गन फेलियर नहीं देखा गया।
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