दीपाावली का त्याेहार गुजरते ही जिले में बाल तस्कर फिर से सक्रिय हाे गए हैं। पिछले एक सप्ताह में ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और गाेवर्धनविलास पुलिस ने बलीचा में दाे कार्रवाई कर 22 बच्चे, पानरवा और टीडी पुलिस ने नाकाबंदी में 11 बच्चे, बाल आयाेग और सुखेर पुलिस ने 7 बच्चे रेस्क्यू किए।
वहीं दीवाली से पहले इस महीने काेटड़ा और झाड़ाेल पुलिस ने 5 कार्रवाई में 50 से ज्यादा बच्चे रेस्क्यू कर 3 नियाेक्ताओं काे गिरफ्तार किया। इसके बाद हुई कार्रवाई में बच्चाें के साथ काेई नियाेक्ता नहीं मिले। कारण यह है कि डर के कारण नियाेक्ता या दलाल साथ नहीं जाकर केवल बच्चाें काे ही बसाें में बिठाकर गुजरात भेज रहे हैं। पुलिस मुकदमा दर्ज कर नियाेक्ताओं और दलालाें की तलाश में जुटी हुई है।
त्याेहाराें पर घर आए बच्चाें काे ले जाने एक्टिव हाेते हैं दलाल
तस्करी काे राेकने में लगे एनजीओ के सदस्य बताते हैं कि त्याेहार मनाने के बाद बच्चे मजदूरी पर निकलते हैं और दलाल भी एक्टिव हाे जाते हैं। गुजरात में इस समय कपास पक चुकी है और उत्पाद निकालने के लिए मानव श्रम की जरुरत हाेती है। इसी तरह जनवरी-फरवरी में आलू और मूंगफली की खेती के उत्पादन के लिए बच्चाें काे ले जाया जाता है। जाे मार्च में हाेली आने पर फिर से लाैट आते हैं। खेती के अलावा कई बच्चाें काे हाेटल-रेस्टाेरेंट में काम के लिए भी ले जाया जाता है।
इन रास्तों से हो रही बाल श्रमिक तस्करी
उदयपुर से बाल तस्करी हाेने के पीछे सबसे बड़ा यहां से जाने के लिए मुख्य तीन मार्गाें के अलावा कई कच्चे रास्ते भी है। जैसे उदयपुर बलीचा हाेते हुए सायरा, गाेगुंदा, झाड़ाेल, ओगणा, फलासिया से ताे सिराेही, पिंडवाड़ा, आबू राेड, काेटड़ा खेड़ब्रह्मा हाेते हुए काेटड़ा-बेकरिया से बाल तस्करी की जाती है। कई रास्ते हाेने से पुलिस काे इन जगहाें पर सख्ती करना भी जरूरी है।
मानव तस्करी यूनिट सहित थाना पुलिस काे एक्टिव किया हुआ है। लगातार बसाें सहित बाेर्डर पर जाने वाले वाहनाें काे चैक किया जा रहा है।
-कैलाश चन्द्र बिश्नाेई, एसएसपी
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