
शहर में आए दिन हो रही चोरी-नकबजनी की वारदातों से अपने खून-पसीने की कमाई बैंक लॉकर में रखने वाले कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने लॉकर तो ले लिए, लेकिन कई महीनों या कई साल तक न तो लॉकर ऑपरेट किया और न ही किराया जमा कराया।
ऐसे लॉकरधारकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की छह शाखाओं में 48 लॉकर्स तोड़े गए हैं। एसबीआई के एजीएम टीकमसिंह गहलोत ने बताया कि संयुक्त परिवार कम होने के साथ-साथ आजकल हर परिवार में पति-पत्नी भी नौकरी करते हैं। ऐसी स्थिति में घर पर सोना-चांदी या कीमती वस्तुएं रखने के लिए बैंक लॉकर सबसे महत्वपूर्ण सुविधा है। एसबीआई भी लॉकर सुविधा देता है। बैंक के नियमानुसार हर साल अप्रैल में लॉकर का किराया देय होता है।
पिछले कुछ समय से सामने आया कि कई ग्राहकों ने लॉकर तो ले लिए, लेकिन समय पर उनका किराया जमा ही नहीं कराया और न ही साल में एक बार लॉकर को ऑपरेट ही कर रहे हैं। नियमानुसार तीन महीने तक लॉकर का किराया जमा नहीं कराने वाले ग्राहकों को बैंक नोटिस देकर लॉकर तोड़कर किराया वसूल कर सकती है। शहर की सोजती गेट, सरदारपुरा, शास्त्री नगर, कमला नेहरू नगर और राइकाबाग शाखा में भी ऐसे 56 डिफॉल्टर लॉकरधारकों को हाल ही में नोटिस जारी किए गए थे। इनमें समय पर जवाब नहीं देने और किराया जमा नहीं कराने वाले 33 लॉकर्स को तोड़ा गया है।
जालोरी गेट ब्रांच में भी 15 लॉकर तोड़े
एसबीआई जालोरी गेट के एजीएम मानसिंह कच्छवाहा ने बताया कि समय पर लॉकर का किराया जमा नहीं कराने वाले कई ग्राहकों को हाल ही में नोटिस जारी किए गए थे। इसके बावजूद भी 15 ग्राहकों ने ना लॉकर ऑपरेट किया और न ही किराया जमा कराया। इस पर शनिवार को ऐसे 15 लॉकर्स को तोड़ा गया। कच्छवाहा के अनुसार बैंक द्वारा इन लॉकर्स को तोड़ने के शुल्क के साथ कुल बकाया किराया राशि भी लॉकरधारक से ही वसूल किया जा रहा है।
साल में एक बार जरूर ऑपरेट करें लॉकर
अनुमान के मुताबिक शहर में तकरीबन 50 हजार लॉकर्स हैं। इनमें से 2% लोगों के खिलाफ इसी तरह की कार्यवाही की जा रही है। एजीएम गहलोत के अनुसार सभी लॉकरधारकों से अपील भी की जा रही है कि, वे साल में कम से कम एक बार लॉकर का उपयोग जरूर करें। समय पर इसका किराया भी जमा कराएं। डिफॉल्टर ग्राहकों की सिबिल भी खराब होती है।
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