कोरोना के चलते देश में हुए लॉकडाउन के बाद अनलॉक होने पर भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट पटरी पर नहीं लौट पाया है। अनलॉक के में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साधनों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। सबसे ज्यादा असर कैब सेवा पर हुआ है। राजधानी जयपुर में पिछले 9 महीने में 60 फीसदी कैब जयपुर की सड़कों से गायब हो गई है। जबकि कोरोना से पहले कैब सर्विस की लोकप्रियता ने आसमान छू लिया था।
3500 कैब राजधानी की सड़कों पर दौड़ रहीं

शहर में 9 महीने पहले तक साढ़े आठ हजार कार कैब सर्विस में लगी हुई थी। लेकिन अब इनकी संख्या साढ़े 3 हजार रह गई हैं। लॉकडाउन के बाद चालक वाहनों की किश्त जमा नहीं कर पाए। बीमा कंपनियों ने वाहनों को बाड़े में बंद कर दिया। कम्पनियां भी इन वाहनों की मैक्सिमम इंश्योरेंस वैल्यू के आधार पर इन्हें नीलाम कर रहीं हैं। अब कैब कंपनियों ने भी कम यात्रीभार को देखते हुए राइडर्स और ड्राइवर्स को दिए जा रहे ऑफर्स और डिस्काउंट स्कीम में कटौती कर ली है।
14 रूट से बंद हुईं सिटी बसें, 100 फेरे भी घटे, पहले 33 रूटों पर 204 फेरे लगा रही थीं सिटी बसें

15 फीसदी निजी वाहनों की बिक्री बढ़ी

कैब सर्विसेज में लगी कारों की संख्या में कमी आने के बाद लोगों का रुझान निजी वाहनों के प्रति ​बढ़ा है। जयपुुर में पिछले 9 महीनों में निजी वाहनों की जोरदार बिक्री हुई है। राजधानी जयपुर में 9 महीनों में करीब 18 हजार कार बिकी हैं, तो वहीं 35 हजार दुपहिया वाहन भी बिके हैं। पिछले 9 महीनों में बिकी कारों की संख्या पिछले साल की तुलना में इस बार 15% अधिक है।

देशभर में भी पिछले 9 महीने में राजस्थान में वाहनों की बिक्री अन्य राज्यों की अपेक्षा बढ़ी है। यहां गुजरात, हरियाणा और पंजाब से 3.77 लाख वाहन अधिक बिके हैं। राजस्थान में परिवहन विभाग को 984 करोड़ का राजस्व मिला है। प्रदेश में 89 हजार कार, 27.50 हजार दोपहिया वाहन, 1250 प्राइवेट टैक्सी कार और 3700 टैम्पो बिके हैं।

सिटी बसों के भी 14 रूट खत्म हुए अनलॉक के बाद भी सिटी बसों में यात्रीभार नहीं आ रहा है। जिसे देखते हुए पिछले दिनों जेसीटीएसएल ने सिटी बसों के फेरे कम कर दिए हैं। शहर में 50 फीसदी फेरे कम करने साथ सीमित बसों का ही संचालन किया जा रहा है। जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड (जेसीटीएसएल) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पहले जहां 204 शेड्यूल संचालित किए जा रहे थे।

वे अब 104 ही संचालित किए जा रहे हैं। साथ ही 33 की बजाय 19 रूट पर ही बसों का संचालन किया जा रहा है। गौरतलब है कि बसों के संचालन में 50 रुपए प्रति किमी खर्चा आ रहा है, जबकि आय पांच रुपए प्रति किमी हो रही है। यहां तक कि टोल नाकों को देने तक के पैसे नहीं आ रहे है।

संक्रमण के डर से लोग नहीं कर रहे यात्रा

जेसीटीएसएल के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार लोगों में बसों में यात्रा करने पर कोरोना फैलने का डर है। जिसके चलते यात्रीभार नहीं होने से राजधानी में सिटी बसों की संख्या 150 ही रह गई है। इसी के चलते निजी वाहनों की संख्या में इजाफा हुआ है।



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People prefer to go by their own vehicles instead of cab service, less commuted by buses
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