सरकारी तंत्र में काम की लापरवाही की पराकाष्ठा नर्सिंग अधीक्षक की पदोन्नति में सामने आई है। चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने उन नर्सिंग अधीक्षकों की भी पदोन्नति कर दी, जिनकी मृत्यु हो चुकी है या वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

पदोन्नति करने के साथ ही जारी लिस्ट जब सामने आई तो एक बारगी सभी चौंके लेकिन अब उन सभी नर्सिंगकर्मियों में सिस्टम के प्रति आक्रोश भी है, जिनकी वजह से उनकी होने वाली पदोन्नति रुक गई। मामला चिकित्सा मंत्री तक पहुंच गया है और अब देखना है कि नई लिस्ट जारी होने के बाद उन कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई होगी, जिन्होंने इतनी बड़ी गलती की है।

मामले के अनुसार चिकित्सा विभाग ने कुल 297 पदों पर पदोन्नति लिस्ट जारी की। सामने आया कि इनमें से 150 से अधिक नर्सिंगकर्मी तो रिटायर हो चुके हैं और तीन जनों का निधन भी हो चुका है। वहीं अगले दो से चार महीनों में 46 जनों का रिटायरमेंट भी होने वाला है। ऐसे में जारी की गई लिस्ट का क्या औचित्य रह जाता है।

कुछ केस ऐसे भी हैं जो पहले से नर्सिंग अधीक्षक हैं और फिर पदोन्नति दे दी। यानि कि विभाग की ओर से जारी की गई लिस्ट का आधार क्या है, इसे कोई भी स्पष्ट नहीं कर पा रहा है। विभाग की ओर से जारी लिस्ट की वजह से जूनियर कर्मचारियों का नाम वरीयता सूची में आ गया है और कई वरिष्ठ नर्सिंगकर्मी पदोन्नति से वंचित ही रह गए हैं।

राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष प्यारे लाल चौधरी, संगठन महामंत्री सुनील शर्मा एवं वूमेन वेलफेयर की प्रदेश अध्यक्ष विनीता शेखावत ने कहा है कि चिकित्सा मंत्री से एक्टिव नर्सेज की पदोन्नति प्रक्रिया पूर्ण होनी चाहिए। 6 वर्ष इंतजार के बाद भी नर्सिंग अधीक्षक के पद नहीं भरे गए व अधिकतर पद रिक्त रह गए हैं। इसे लेकर चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा को ज्ञापन भी दिया गया है।



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