राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने शापिंग मॉल में कैरी बैग के लिए ग्राहकों से अलग से पैसे वसूलने को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करार देते हुए इस पर तत्काल प्रभाव से राेक लगाने काे कहा है। लेकिन अजमेर में कई बड़े शापिंग माॅल में कैरी बैग के लिए शुल्क वसूला जा रहा है, इस मुद्दे काे लेकर जिला उपभाेक्ता मंच में ही करीब 30 शिकायतें लंबित हैं।
अब एससीडीआरसी के ताजा निर्णय व दिशा निर्देश के बाद इन मामलाें का निस्तारण एक साथ हाेने की उम्मीद है। एनसीडीआरसी ने अपने ताजा फैसले में कहा कि आमतौर पर रिटेल आउटलेट कस्टमर्स को कैरी बैग फ्री में उपलब्ध कराते हैं, जिससे वह खरीदा हुआ सामान आसानी से घर ले जा सकें। कुछ बड़े ब्रांड वाले शापिंग माॅल कैरी बैग की अलग से कीमत वसूल रहे हैं।
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि यह नहीं हो सकता कि ग्राहक के चीजें खरीदने के बाद पेमेंट काउंटर पर पैसे देते वक्त बताया जाए कि उससे कैरी बैग की अलग से कीमत वसूली जाएगी। उपभोक्ता का आउटलेट में घुसने और सामान चुनने से पहले जानकारी होने का अधिकार भी प्रभावित होता है।
आयोग ने उपभोक्ता कानून की धारा 39 (1) (जी) के तहत प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए माॅल संचालकों को आदेश दिया है कि वह आउटलेट में खरीदारी के लिए जाने और सामान चुनने से पूर्व नोटिस दिए बिना ग्राहकों से भुगतान के समय उनसे कैरी बैग की अलग से कीमत वसूलने की अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस तत्काल प्रभाव से बंद करे।
90 साल पुराने कानून में है प्रावधान : उपभाेक्ता मामलाें के जानकार तरुण अग्रवाल ने बताया कि द सेल्स ऑफ गुड्स एक्ट, 1930 की धारा 36 की उपधारा 5 के तहत सामान की पैकिंग का खर्च विक्रेता को वहन करना होता है। जहां छोटे दुकानदार, फल-सब्जी, रेहड़ी वाले सामान को कैरी बैग में डालकर देते हैं, वहीं बड़े माॅल और शोरूम संचालकों द्वारा कैरी बैग का शुल्क लिया जाना अनुचित व अविधिक है।
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