झालाना लेपर्ड रिजर्व में हुए हादसे के बाद वन विभाग अब टूरिज्म पर लगाम कसने की तैयारी कर रहा है। खासकर बघेरे को दिखाने की होड़ में बेलगाम होने वाली जिप्सी और साइटिंग के लिए वन्यजीवों को परेशान करने वाली गतिविधियां केंद्र में है। जल्द ही एक दिशा-निर्देश के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है, जो हर जिप्सी के साथ टूरिस्ट को सौंपा जाएगा।
बता दें कि महाराष्ट्र के ताडोबा टाइगर रिजर्व में इस तरह की पहल बरसों से की जा रही है। गाइड और ड्राइवर जैसे ही गाड़ी में सवार होते हैं, वो अपने टूरिस्ट को बेसिक सूचना से लैस करते हैं। वहीं गाड़ी की रफ्तार आदि पर भी पूरा कंट्रोल रखा जाता है। इसके अलावा रणथंभौर में भी तेज गाड़ी चलाने और वन्यजीवों के सिर तक गाड़ी ले जाने वालों पर सख्ती के प्रयास हुए हैं, लेकिन एक समय बाद बिगड़ चुके हालात से नतीजे आशाजनक नहीं रहे। बता दें कि झालाना लेपर्ड प्रोजेक्ट पिछले कई सालों में शहर और वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के लिए नायाब तोहफा है।
विभाग की ओर से कुछ सालों में यहां के ग्रासलैंड, प्लांटेशन, नए ट्रैक, ट्रैकिंग आदि के सराहनीय काम भी हुए हैं। इसके पीछे बड़ी वजह झालाना मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्यों का पूरा जुड़ाव भी है। रेंजर जनेश्वर सिंह ने कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए विभाग जरूरी कदम उठा रहा है, टूरिज्म की वजह से टूरिस्ट और वन्यजीवों को परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
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