बीएड की फर्जी डिग्री से थर्ड ग्रेड की नौैकरी हथियाने वाला एक शिक्षक काे बर्खास्त कर दिया गया है। राप्रावि खैरवाल के शिक्षक मनाेहर लाल शर्मा ने राम मनाेहर लाेहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या से बीएड करने की डिग्री पेश की थी। शिकायत पर जांच कराई ताे अवध विश्वविद्यालय की ओर से लिख कर दिया कि मनाेहर लाल शर्मा का कालेज में न रजिस्ट्रेशन है और न ही इस नाम से बीएड की।

इस पर डीईओ प्रा. घनश्याम मीणा ने शिक्षक काे बर्खास्त कर दिया। शिक्षक मनाेहर लाल की पाेस्टिंग 30 साल पहले नवंबर 1990 में हुई थी। मनाेहर लाल शर्मा फर्जी डिग्री से 20 साल तक नौैकरी करता रहा। फिर वर्ष 2011 में मनाेहर लाल शर्मा की बीए की फर्जी डिग्री की शिकायत हुई ताे सबसे पहले उसके खिलाफ सैंथल थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई।

तफ्तीश के बाद मनाेहर लाल शर्मा की गिरफ्तारी भी हुई ताे उसे निलंबित कर दिया गया। विभागीय स्तर पर भी जांच की। भर्ती के दाैरान मनाेहर लाल द्वारा अवध विश्वविद्यालय अयोध्या से वर्ष 1990 में बीएड की डिग्री पेश की थी, जिसकी जांच की जिम्मेदारी लालसाेट सीबीईओ गोविंद राम माली काे साैंपी गई।

जांच में ही अटका रहा मामला, 30 साल करता रहा नौकरी

कई साल तक जांच में ही मामला अटका रहा, फिर सीबीईओ माली पर ही कार्रवाई की तलवार लटकी ताे वे शर्मा की बीएड डिग्री की जांच के लिए अयोध्या गए। वहां का रिकॉर्ड खंगाला ताे पता चला कि वर्ष 1990 में मनाेहर लाल शर्मा ने अवध विश्वविद्यालय से बीएड नहीं की। मैनेजमेंट ने लिखकर दिया कि बीएड की यह डिग्री फर्जी है। उसके आधार पर जांच अधिकारी गोविंद राम माली ने रिपोर्ट तैयार कर डीईओ प्रारंभिक काे साैंपी।

डीईओ प्रा. घनश्याम मीणा ने मनोहरलाल शर्मा बर्खास्त कर दिया है। करीब 30 साल तक फर्जी डिग्री से नौैकरी करने वाले शिक्षक शर्मा के खिलाफ आगे वसूली की कार्रवाई भी हा़े सकती है। विदित रहे कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही नौैकरी हथियाने वाले एक अन्य शिक्षक काे करीब 6 माह पहले तत्कालीन डीईओ प्रा. रामप्रसाद बैरवा ने भी बर्खास्त किया था।

एसीबी से जांच हाे ताे कई फर्जी शिक्षकों का हो भंडाफोड़

बीएड तथा बीपीएड/सीपीएड की फर्जी डिग्री के मामले में दाैसा काफी चर्चित और विवादित रहा है। फर्जी डिग्री व दस्तावेजों से नौैकरी हथियाने वाले कुछ शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हाेने के बाद हाईकोर्ट तक केस पहुंचा। हाईकोर्ट के आदेश पर फिर कई शिक्षकों काे बर्खास्त भी किया गया था, लेकिन फर्जीवाड़े के इस खेल के मास्टर माइंड अब भी धड़ल्ले से नौैकरी कर रहे हैं।

बताया जाता है कि हाईकोर्ट में अभी भी कई शिक्षकों का मामला सुलझा नहीं है। इसे देखते हुए लाेगाें का कहना है कि एंट्री करप्शन ब्यूरो के स्तर पर जांच कराई जाए ताे फर्जी डिग्री व अन्य दस्तावेजों से नौैकरी करने वाले शिक्षक/शारीरिक शिक्षकों का भंडाफोड़ हाेना तय है।



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Third grade teacher in 1990 with fake degree from B.Ed., suspended after 20 years, 10 years engaged in departmental inquiry, now dismissed
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