कोरोनाकाल में सबसे संकटग्रस्त टूरिज्म इंडस्ट्री को उबारने के लिए कोई कामकाज पटरी पर आ पाएं, इससे पहले ब्यूरोक्रेट्स को लग रहे झटके इसमें सबसे बड़ी परेशानी पैदा कर रहे हैं। राजस्थान पर्यटन विकास निगम के डूबते जहाज को बचाने के बजाए एमडी की पोस्ट (आईएएस अफसर) फुटबॉल बनी हुई है। दो साल में छठी बार एमडी बदल गए हैं।
एक आईएएस अफसर पर्यटन निगम के काम को समझ कुछ आगे बढ़ाएं उससे पहले ही वो बदल दिए जाते हैं। नतीजतन, पर्यटन निगम की हालत बद से बदतर हो रही है। पर्यटकों और पर्यटन के हित में होटल-यूनिटों, पर्यटन जगहों के हालात सुधर नहीं पा रहे।
एमडी के नीचे अफसरों के लिए भी बेहद उलझन वाली स्थिति रहती है, वो जब तक जैसे-तैसे एमडी से अपनी ट्यूनिंग बिठाते हैं, फिर काम की जगह मोबाइल में एमडी का नाम रिप्लेस करना पड़ता है। एमडी के बाद आरएएस की कार्यकारी निदेशक वाली पोस्ट पर भी ज्योति चौहान को लगाया है, जो इस साल में चौथी अफसर होंगी।
यूं बदलते गए अफसर, कोई भी सालभर से अधिक नहीं रहा विभाग में
- प्रदीप कुमार बोरार के बाद 2 मई 2018 को आईएएस एच गुइटे ने चार्ज लिया। ये 10 महीने बाद 5 मार्च को बदल दिए।
- 7 मार्च को आईएएस कुंज बिहारी पांड्या ने चार्ज लिया, जो 11 महीने में 12 फरवरी 2020 तक रहे। इसके बाद इनके तबादले पर आईएएस डॉ. भंवरलाल आए, जो केवल 5 महीने 2 जुलाई 2020 तक रहे। फरवरी से प्रमुख सचिव और सीएमडी आलोक गुप्ता के पास अतिरिक्त चार्ज रहा।
- इसी बीच आईएएस विकास भाले को लगाया, लेकिन ज्वाइन ही नहीं कर पाए और कुछ दिन में तबादला रद्द हो गया। तब फिर से प्रमुख सचिव और सीएमडी के पास अतिरिक्त चार्ज चलता रहा। अब 2013 बैच के निकिया गोहेन को लगाया है।
इतने तबादले की वजह
घाटे से जूझ रहे पर्यटन निगम में अव्वल तो कोई आईएएस मर्जी से आना नहीं चाहता।
दूसरा, सरकार की अनदेखी भी एक वजह, जिसके चलते आईएएस को सपोर्ट नहीं मिलता। ऊपर से आरटीडीसी के स्टाफ की बेगारी की सिफारिशें। जिसको पूरी कर पाना मुश्किल, अन्यथा नाराजगी।
फिलहाल कोई कैबिनेट मिनिस्टर नहीं। राज्यमंत्री का चार्ज डोटासरा के पास, जो पार्टी और मूल विभाग में ओवरलोडेड।
और कामकाज ठप
- 30 यूनिट में बेसिक मेंटिनेंस तक नहीं।
- 15% ऑक्यूपेंसी, क्योंकि पर्यटक आएं उससे पहले यूनिटों के हालात पहुंच जाते हैं।
- बहरोड जैसी यूनिट चालू नहीं, दूसरी बंद 15 में से 2 (फतहपुर-रतनगढ़) चालू हो पाई।
- कई साल से बंद 30 यूनिटों पर फैसला नहीं। टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर और इनफॉर्मेशन ब्यूरो को चालू करने का काम नहीं।
- शाही रेल की प्लानिंग में पूरी तरह फेल।
- केंद्र की फंडिंग (स्मार्ट सिटी और टूरिज्म के जरिए) वाले तालकटोरा-लाइट एंड साउंड के काम लगातार डिले।
- स्टाफ को सातवें वेतनमान जैसी मांगे तो दूर सैलरी का संकट।
एक नजरिया: टूरिज्म के अधिकारी क्यों नहीं देखे, कंगाली में आटा गीला
आरटीडीसी में 350 अधिकारी-कर्मचारी हैं और टूरिज्म में 200 भी नहीं। दोनों जगह एमडी-डायरेक्टर अलग हैं। सरकार चाहे तो एक ही आईएएस काम देख सकते हैं। इससे घाटे के आरटीडीसी पर होने वाले आर्थिक भार से निजात मिलेगी। कई साल से एमडी के नतीजे भी नहीं मिल रहे।
नए एमडी, नई संभावनाएं
^आरटीडीसी की स्थिति को संवारना है। हमें निजी इंडस्ट्री से प्रतिस्पर्धा कर बेहतर सर्विस देनी होती है। इसके लिए पहले खुद को तैयार कर सुविधाओं और हालात में सुधार करेंगे, टूरिस्ट को बेहतर सर्विस मिल सके और हमें मार्केट। हां, पैलेस ऑन व्हील्स को भी पटरी पर लाना है।
-निकिया गोहेन, एमडी, आरटीडीसी
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