"स्पष्टीकरण से इस्तीफे तक का सफर"

नोटिस का भय दिखाकर अपराधी के पक्ष में खड़ा नही रख सकते - उदाराम मेघवाल


(1) मेरे राजननीतिक जीवन की शुरुआत 1980 दौर के बाद हुई। मेने मेवाराम जैन को बालेवा ग्राम पंचायत का सरपंच बनाने में हैसियत के अनुसार दो बार सहयोग किया और जो पौधा था वो आज वट वृक्ष बन चुका है।

(2)1992 में तत्कालीन भाजपा जिला अध्यक्ष एवम मेरे राजनीतिक गुरु स्व. डॉ. महानंदजी शर्मा ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण करवाई ओर वहां पार्टी में रहकर सामाजिक लड़ाई लड़ी और 15 वर्ष तक पार्टी में रहा।

पार्टी में रहते 1998 में बहूचर्चित बाखासर लीलाराम मेघवाल हत्या प्रकरण में भाजपा का जिला उपाध्यक्ष और अनुसूचित जाति मोर्चा जिला अध्यक्ष पद पर रहते हुए पार्टी लाइन से हटकर खुलकर समाज के साथ खड़ा रहकर तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के पुतले जलाए।

लेकिन पार्टी ने कोई नोटिस नही दिया।
2003 में जब भाजपा पुनः सता में आई और बहुजनों पर अत्याचार बढ़े तो भाजपा को अलविदा कहकर कांग्रेस ज्वाइन की।


(3)2004 के लोकसभा चुनाव कर्नल सोनाराम चौधरी का साथ दिया लेकिन कर्नल साहब हार गए लेकिन जाट समाज ने उसे अच्छा माना और 2005 में स्व.वृद्धि चंद जी जैन और अमीन खान के विरोध के बावजूद कांग्रेस से कर्नल साहब और जाट नेताओ ने टिकट देकर मुझे उंडू क्षेत्र से चुनाव जीताया और बाद में अमीन खान और कर्नल साहब सहित और सभी जाति के सदस्यों ने मिलकर शिव पं. स. प्रधान भी बनाया।

प्रधानी का सफर भी काफी मुश्किलों भरा रहा फिर भी हार नही मानी। बाद में स्व.वृद्धिचंद जी जैन का भी सहयोग मिला।

बाद में 2010 में जिला परिषद का चुनाव श्री अमीन खान और भाजपा नेता और मेरे प्रेरणास्रोत आदरणीय स्व. श्री गंगाराम चौधरी ने अपने क्षेत्र से जीताया।

2011 में बहुचर्चित प्रकरण आरटीआई कार्यकर्ता मंगलाराम मेघवाल को सरपंच गुलामशाह ने कातिलाना हमला करवाकर हाथ पैर तुड़वा दिए, जिसको लेकर कांग्रेस राज में कांग्रेस का जिला परिषद सदस्य रहते कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पुतला जलाया तो मेरी आवाज दबाने के लिए मुझ पर 24 घंटो में पार्टी के इशारे पर चार फर्जी केस दर्ज करवाए, और मैने पूर्व आईएएस, सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय की टीम और स्वतंत्र पत्रकार और लेखक भंवर मेघवंशी और मेरे सहयोगी साथी पत्रकार श्री महावीर जैन के सहयोग से वह बाजी जीत ली और हार नही मानी और 2013 के विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख कांग्रेस पार्टी और नेताओ ने यूटर्न लिया और 2013 में मुझे 20 सूत्री कार्यक्रम का उपाध्यक्ष बनाया।


(4) 2013 में राजस्थान में भाजपा की सरकार शासन में आई। 2 अप्रैल 2018 को देशव्यापी भारत बंद में भाग लेने से कई क्रांतिकारी साथियों के साथ जेल गया,जेल में रहते भाजपा के विरुद्ध लड़ाई लड़ने और कांग्रेस से बाड़मेर की सामान्य सीट से विधान सभा का टिकट मांगने का सोचा लेकिन अमीनखान जी ने आगे चलकर मना कर दिया उससे नाराज होकर पूरे समाज का सहयोग लेकर आरएलपी की टिकट पर शिव विधानसभा की सामान्य सीट से चुनाव लड़ा और सभी जाति वर्ग का समर्थन मिला और बहुजन समाज के साथ विशेष कर सम्माननीय किसान नेता आरएलपी सुप्रीमो श्री हनुमान बेनीवाल के आशीर्वाद से जाट समाज का नोट और वोट से भरपूर समर्थन मिला और मुझे शिव की सामान्य सीट से 51000 वोट मिले। इन चुनावों की एक घटना ने मेरे जीवन पर बहुत प्रभाव डाला यह घटना मेरे आवेदन-पत्र प्रस्तुत करने की सभा में आते समय कार्यकर्ताओं में दो जाट समाज के जवानों की दुर्घटना में मौत हो गई फिर भी उस परिवार और जाट समाज ने मुझे पूरा समर्थन दिया, जाट समाज के वोटों के समर्थन का ऋण तो लोकसभा चुनावों में उतारा लेकिन वो जिस परिवार के दो जवान मेरे लिए शहीद हुए वह भरपाई कभी नहीं हुई और न होगी,वो अहसान मेरे कलेजे पर लोहे पर लकीर की तरह लिखे है, वो कभी नहीं भूलूंगा। मुझे आदरणीय आरएलपी संयोजक ने प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ जिलाध्यक्ष बनाया उनका बहुत बहुत धन्यवाद, उस जिम्मेदारी के अनुरूप मैने पार्टी को मजबूत करने का ईमानदारी से कार्य किया और कोई कसर नहीं छोड़ी और फिर भी कोई गलती रही हो तो सम्मानीय कार्यकर्ता माफ करें।


मैं आरएलपी सुप्रीमो श्री हनुमान जी बेनीवाल का पहले की भांति आज भी आदर और सम्मान करता हूं और करता रहूंगा। साथ प्रदेश अध्यक्ष जी , महामंत्री उम्मेद्जी बेनीवाल सहित तमाम पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का सम्मान करता रहूंगा,चाहे वह किसी मोड़ पर मिले, मेरे व्यक्तिगत घरेलू संबंध बने रहेंगे।

(5).माननीय मुख्यमंत्री की विधानसभा क्षेत्र और ग्रह जिले जोधपुर में बहुचर्चित लवली कंडारा एनकाउंटर जिसमे लवली की मौत पुलिस और लवली की आमने सामने हुई फायरिंग में हुई, और फिर कुछ लोग पुलिस के पक्ष में तो कुछ मृतक के पक्ष में आए, यहां पर पुलिस इंस्पेक्टर और मृतक दोनो एक वर्ग के है। लेकिन मैं यहां पर वर्ग या जाति के आधार पर पुलिस इंस्पेक्टर का समर्थन नहीं करता, यहां पर दो पक्षों के बीच की लड़ाई थी एक पक्ष अपराधी जिसकी कोई जाति नहीं दूसरी पुलिस जिसकी भी कोई जाति नहीं। सम्माननीय श्री Hanuman Beniwal जी जोधपुर आए इससे पूर्व मैने मेरी राय उनको दे दी थी, और प्रदेशाध्यक्ष को भी मेरी राय से अवगत कराया था और प्रदेशाध्यक्ष जी भी मेरी राय से सहमत थे और प्रदेशाध्यक्ष ने भी आरएलपी सुप्रीमो के सामने भी मेरी और स्वंय की भी राय रखी लेकिन नतीजा नहीं आया और वो आए और आंदोलन किया और विभिन्न मांगे रखी, बाद में पुलिस, प्रशासन,कांग्रेस के विधायक, पदाधिकारियों और सम्माननीय वाल्मीकि समाज के बीच समझौता हुआ, जिस वार्ता में आरएलपी शामिल नही थी और नही आरएलपी की मांगो में से एक मात्र मांग मानी वो पुलिस टीम का निलंबन, इसको छोड़कर कोई लिखित मांग नही मानी। 


आमजन में यह संदेश गया कि आरएलपी सुप्रीमो अपराधियों के साथ रहकर जांबाज पुलिस अधिकारियों का मनोबल तोड़ने का कार्य करते है। मैने मेरी निजी राय दी की जो लोग , नेता और राजनैतिक दल अपराधियों का समर्थन करते है मैं उनके इस जोधपुर प्रकरण के निर्णय में मैं साथ नही हूं, और पुलिस के साथ हूं, और हमेशा की भांति अपराधियों के खिलाफ रहा हूं और रहूंगा। 

मेरा अपराधियों के साथ नही रहना पार्टी ने अनुशासनहीनता माना जो मुझे तो ठीक नही लगा, ये मेरी अभिव्यक्ति की आजादी है।

(6) कि मेरे व्यक्तव्य को अनुशासनहीनता मानते हुए 5 दिन में स्पष्टीकरण मांगा जिससे मैं सहमत नही हूं, 
इतना ही सत्य बोलने से ऐसी कार्यवाही पार्टी करती है और मेरा मुंह सिलने का कार्य करती है तो 

मैं माफी के साथ कहना चाहता हूं कि "राजनीति में मेरा स्वाभिमान आखिर और अव्वल है" जहां पर मेरा हित और पार्टी का हित टकराएगा वहां पर मैं पार्टी को महत्व दूंगा लेकिन पार्टी का हित मेरे बहुजन समाज का हित टकराएगा वहां में बाबा साहेब के संविधान,समाज और न्याय को चयन करूँगा। जो मतदाता, समाज, जिन्होंने मुझ वोट, स्पोर्ट, मान-सम्मान दिया मैं मेरी सामर्थ्यता अनुसार आपके साथ रहूंगा, आपका अहसान कभी नहीं भूलूंगा। मेरे बयान के बाद जिस किसी ने मेरा मनोबल बढ़ाया उनका बहुत बहुत धन्यवाद, 
जिन लोगो ने मेरा सहयोग नही किया और मेरे खिलाफ भी टिप्पणियों की उनका कोई बुरा नही मानूंगा, विरोध भी शुभ संकेत है उनको पढ़कर कुछ सुधार कर सकता हूं, और यही इस लोकतंत्र की खूबसूरती है।


(7) मेरे आदर्श और पसंदीदा नेता
आदर्श- महात्मा बुद्ध,ज्योति बा फूले, माताश्री सावित्रीबाई फुले,साहूजी महाराज, बाबासाहेब डॉ.भीमराव अंबेडकर, श्री कांसीराम जी, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम साहब आदि।
पसंदीदा नेता-श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, श्रीरामविलास पासवान, श्री अटल बिहारी वाज़पेयी,बहन कुमारी मायावती, श्री पीए संगमा, श्री गंगारामजी चौधरी, श्री कन्हैया कुमार आदि।

अतः मैंने अपराधी का समर्थन नहीं किया तो मेरे से स्पष्टीकरण मांगा गया और मेरा एक जाट आरएलपी कार्यकर्ता ने समर्थन किया तो उसको भी 5 वर्ष के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। हम बाबा साहेब के सिद्धांतो पर चलने वाले लोग है। हमे हमारे स्वाभिमान के रास्ते से कोई भी अनुशासनात्मक कार्यवाही न तो मुझे अपराधी के साथ खड़ा रख सकती और न ही मेरी आवाज को दबा सकती। 
मैं आजाद था और रहूंगा।

अतः मैं Rashtriya Loktantrik Party के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। 

जय भीम। जय भारत।।

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