दुनिया के जाने माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का 76 साल की उम्र में निधन हो गया है.

वो एक ऐसी बीमारी से पीड़ित थे, जिसके चलते उनके शरीर के कई हिस्सों पर लकवा मार गया था. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और विज्ञान के क्षेत्र में नई खोज जारी रखी.
हॉकिंग ने सापेक्षता (रिलेटिविटी), ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी को समझने में अहम भूमिका निभाई थी.


स्टीफन हॉकिंग की ज़िंदगी पर एक नज़र
* साल 1942 में 8 जनवरी को स्टीफ़न का जन्म इंग्लैंड के ऑक्सफ़ोर्ड में हुआ था
* साल 1959 में वो नेचुरल साइंस की पढ़ाई करने ऑक्सफ़ोर्ड पहुंचे और इसके बाद कैम्ब्रिज में पीएचडी के लिए गए
* साल 1963 में पता चला कि वो मोटर न्यूरॉन बीमारी से पीड़ित हैं और ऐसा कहा गया कि वो महज़ दो साल जी पाएंगे
* साल 1988 में उनकी किताब ए ब्रीफ़ हिस्टरी ऑफ़ टाइम आई जिसकी एक करोड़ से ज़्यादा प्रतियां बिकीं
* साल 2014 में उनके जीवन पर द थ्योरी ऑफ़ एवरीथिंग बनी जिसमें एडी रेडमैन ने हॉकिंग का किरदार अदा किया था

परिवार ने जताया दुख

 ब्रिटिश वैज्ञानिक ने विज्ञान के क्षेत्र से जुड़ी कई जानी-मानी किताबें लिखी हैं, जिनमें ए ब्रीफ़ हिस्टरी ऑफ़ टाइम सबसे ज़्यादा मशहूर हुईं.
उनके बच्चों- लुसी, रॉबर्ट और टिम ने कहा, ''हमें ये जानकारी देते हुए बेहद दुख हो रहा है कि हमारे पिता का आज निधन हो गया है. वो बेहतरीन वैज्ञानिक और असाधारण इंसान थे जिनका काम और विरासत आने वाले कई साल तक जीवित रहेंगे.''
बच्चों ने स्टीफ़न हॉकिंग की 'हिम्मत और निरंतरता' की तारीफ़ की और कहा कि 'प्रतिभा और मज़ाकिया अंदाज़' ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया.
''उन्होंने एक बार कहा था- जिन लोगों से आप प्यार करते हैं, अगर वो नहीं हैं तो ये दुनिया फिर किस काम की है. हम उन्हें हमेशा ताउम्र मिस करेंगे.''

हमेशा व्हील चेयर पर रहने वाले हॉकिंग किसी भी आम इंसान से इतर दिखते थे.
विश्व प्रसिद्ध महान वैज्ञानिक और बेस्टसेलर रही किताब 'ए ब्रीफ़ हिस्ट्री ऑफ टाइम' के लेखक स्टीफ़न हॉकिंग ने शारीरिक अक्षमताओं को पीछे छोड़ते हु्ए यह साबित किया था कि अगर इच्छा शक्ति हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है.
अपनी खोज के बारे में हॉकिंग ने कहा था, ''मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैंने ब्रह्माण्ड को समझने में अपनी भूमिका निभाई. इसके रहस्य लोगों के खोले और इस पर किये गये शोध में अपना योगदान दे पाया. मुझे गर्व होता है जब लोगों की भीड़ मेरे काम को जानना चाहती है.''

हॉकिंग की पहली फ़ेसबुक पोस्ट

साल 2014 में जब हॉकिंग फ़ेसबुक पर पहली बार आए तब उन्होंने अपनी पहली पोस्ट में अपने प्रशंसकों को 'जिज्ञासु' बनने की नसीहत दी थी.
हॉकिंग ने अपनी पोस्ट में लिखा था, ''मैं हमेशा से ही सृष्टि की रचना पर हैरान रहा हूं. समय और अंतरिक्ष हमेशा के लिए रहस्य बने रह सकते हैं, लेकिन इससे मेरी कोशिशें नहीं रुकी हैं.
  • एक-दूसरे से हमारे संबंध अनंत रूप से बढ़े हैं. अब मेरे पास मौका है और मैं इस यात्रा को आपके साथ बांटने के लिए उत्सुक हूं. जिज्ञासु बनें. मैं जानता हूं कि मैं हमेशा जिज्ञासु बना रहूंगा."

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