रेडियो का रहा है अपना स्वर्णिम दौर, परन्तु अब रेडियो आम जीवन से लुप्त होने की कगार पर

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एक जमाना था जब सारा जमाना रेडियो का दीवाना था । तब आम और खास हर घर में रेडियो की खनकती व दिलों को छू लेने वाली आवाज अक्सर गुंजा करती थी । परन्तु समय के साथ बढ़ते तकनीक के दौर ने रेडियो के चलन को किनारे-सा कर दिया है। रेडियो के बाद आम जिन्दगी का अहम् हिस्सा बनने वाले टेलीविजन ने हमारे जीवन में आमूलचूल परिवर्तन किया और हमें दुनियाभर से जोड़ दिया तथा अपना दीवाना करके रख दिया। वहीं रेडियो में रही दृश्यों की कमी को टलीविजन ने पूरा किया । टेलीविजन के आगमन ने रेडियो के प्रचलन को बहुत अधिक प्रभावित किया । टेलीविजन के बाद मोाईल न जाने और भी क्या-क्या ने रेडियो की दुनिया को प्रभावित किया ।


सन् 1895 में गुल्येल्मो मार्काेनी ने रेडियो का आविष्कार किया । 2011 में यूनेस्को की महासभा के 36वें सत्र में 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस घोषित किया गया। जबकि औपचारिक रूप से पहला विश्व रेडियो दिवस 2012 में मनाया गया। प्रतिवर्ष 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाया जाता है। एक समय था जब रेडियो हमारे जीवन का काफी अहम हिस्सा हुआ करता था। हर घर में रेडियो का विशेष स्थान व महत्व होता था, घर की महिलाएं या चौराहे की चाय की थड़ी या कोई दुकान पर रेडियो की जिन्दादिल खनकती, कानों में रस घोलती आवाज सुनने को लोगों का मजमा लगा रहता था । खेत से लेकर दुकान और घर से लेकर फुटपाथ तक रेडियो का एकछत्र राज हुआ करता था, रेडियो का अपना ही जादू था । यहीं नही देश की सीमाओं पर पहरा दे रहे जवानों की तो रेडियो दिल की धड़कन हुआ करती था। रेडियो पर बजने वाले अपने दौर के नगमों का हर कोई दीवाना रहा है । सूचना, संचार और गीतों के माध्यम से मनोरंजन के अहम माध्यम के तौर पर रेडियो का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन टेलीविजन और मोबाईल जैसी संचार तकनीक के आने के बाद रेडियो का पहले जैसा इस्तेमाल नहीं हो रहा है लेकिन अब भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है।


एक दौर था जब कई रेडियो उद्घोषकों की आवाज का जादू आमजन पर सिर चढ़कर बोलता था । जिसमें अमीन सयानी जैसे आवाज के जादूगर प्रमुख रहे है । रेडियो ने हमें सर्वप्रथम देश और दुनिया से जोड़ा । संचार माध्यमों ने हमें सुचनाओं का आदान-प्रदान कर दुनिया से वाकिफ करवाया । परन्तु रेडियो का दौर धीमा अथवा थमने जरूर लगा है इस बात में कोई दो-राय नही है । बीबीसी जैसे संस्थान का रेडियो प्रसारण से हट जाना इसी का एक उदाहरण है।

दुनिया भर में सूचना के आदान-प्रदान और लोगों को शिक्षित करने में रेडियो ने अहम भूमिका निभाई है। मौजूदा समय में भी यह सूचना फैलाने का सबसे शक्तिशाली व सबसे सस्ता माध्यम है। हालांकि रेडियो पुराना माध्यम हो गया लेकिन अब भी संचार के लिए इसका इस्तेमाल होता है। इसके अलावा 1945 में इसी दिन यूनाइटेड नेशंस रेडियो से पहली बार प्रसारण हुआ था। रेडियो की इन अहमियतों को देखते हुए हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है।

मुकेश बोहरा अमन
साहित्यकार व सामाजिक कार्यकर्ता
बाड़मेर राजस्थान

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