जन्म प्रमाण पत्र की तर्ज पर हर बच्चे की बनेगी जन्म कुंडली

पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जयपुर शहर के पांच अस्पतालों में शुरू होगी योजना
जयपुर. राज्य सरकार अब निजी और सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों की जन्म पत्रिका बनाकर देगी। जन्म प्रमाण पत्र की तर्ज पर शुरू होने वाली इस योजना से पहले चरण में जयपुर शहर के पांच अस्पतालों को जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही राशि के अनुसार बच्चों को नामकरण के लिए नामावली भी सुझाई जाएगी। इस योजना के लिए जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है। जन्म पत्रिका का प्रारूप भी तैयार हो चुका है। अब केवल इस योजना के नाम को अंतिम रूप दिया जाना है।

कुंडली के लिए सरकारी में 51 और निजी अस्पतालों में 101 रुपए लिए जाएंगे
संस्कृत शिक्षा और संस्कृत भाषा को प्रोत्साहन देने की राज्य सरकार की योजना के तहत इसकी शुरूआत की जाएगी। पिछले दिनों संस्कृत शिक्षा विभाग की बैठक में इस योजना पर मंथन भी हो चुका है। सरकार का मानना है कि इस योजना से करीब 3 हजार व्यक्तियों को स्वरोजगार भी मिल सकेगा। जन्म पत्रिका के लिए पिता का नाम, माता का नाम, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, जन्म दिनांक, जन्म समय और जन्म का स्थान बताना होगा। योजना को दूसरे चरण में पूरे राजस्थान में लागू किया जाएगा।



संस्कृत विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले चरण में जयपुर के 5 बड़े सरकारी चिकित्सालयों में निशुल्क कुंडली बनाई जाएगी। इसमें जनाना अस्पताल, महिला चिकित्सालय, कांवटिया अस्पताल, जयपुरिया अस्पताल और सेटेलाइट अस्पताल सेठी कॉलोनी शामिल हैं। दूसरे चरण में समस्त निजी और सरकारी अस्पतालों को इससे जोड़ा जाएगा। राजकीय चिकित्सालयों में इस कुंडली के लिए 51 रुपए और निजी अस्पतालों में 101 रुपए लिए जाएंगे। योजना के तीसरे चरण में मेडिकल एस्ट्रोलॉजी के माध्यम से गंभीर बीमारियों का ज्योतिष के जरिए निदान भी किया जाएगा।

इसलिए चलाई जा रही योजना

ज्योतिष पिंड और ब्रह्मांड का विज्ञान है। इसमें भूगोल, अंतरिक्ष के साथ साथ कृषि, पर्यावरण, जनजीवन, प्राकृतिक घटनाओं आदि का भी वैज्ञानिक साहित्य विद्यमान है। बालक के जन्म के समय की खगोलीय ग्रह-नक्षत्रादि की स्थिति से बालक के संपूर्ण जीवन की स्वास्थ्य, सुख, आयु, आजीविका, सामाजिकता आदि का तो ज्ञान होता ही है, उसके पूर्वजन्म और अग्रिमजन्म तक का विचार भी कुंडली से संभव है।

यह हो सकता है योजना का नाम : राजस्थान शिशु भाग्य दर्शन योजना, राजस्थान शिशु सौभाग्य योजना, राजस्थान बाल भाग्य दर्शन योजना, राजस्थान आयुष्मान शिशु दर्शन योजना, राजस्थान नवजात सौभाग्य दर्शन योजना, राजीव गांधी जन्मपत्री-नामकरण योजना।

^ विश्व में ज्ञान का प्राचीनतम स्रोत वेदों का एक अंग ज्योतिष है। ज्योतिष ग्रहों की चाल के साथ ही मनुष्य के अच्छे पूरे समय का भी निर्धारण करता है। इसलिए यह विद्या पूर्ण विज्ञान है। सरकार इस अमरविद्या के प्रसार की महत्वपूर्ण योजना बना रही है। इस योजना से निश्चित ही ज्योतिष हर किसी को सहजता से सुलभ हो सकेगी। - शास्त्री कोसलेंद्रदास, सहायक आचार्य, संस्कृत विश्वविद्यालय

Advertisement

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
Top