*अक्षय तृतीया की सबको शुभकामनाएं*
अक्षय = *जिसका क्षय ना हो* , मतलब *अखंड* !!
समय के साथ बदलते - बदलते यह त्यौहार आखा तीज बण ग्या था पर अब इस त्यौहार का ही तीव्र गति से क्षय हो रहा है।
हमारे शहरी व पढे - लिखे समाज को इस का ना मतलब पता और ना महत्व।

खैर घणा सा मन्नै भी ना पता पर इतणा पता है कि इस दिन मेरी माँ खिच जरूर बणाया करती और खिच का सम्बंध सीधा हमारे अक्षय स्वास्थ्य से है।

अब आगे दो महीने गर्मी चरम पर होगी तथा हमारे शरीर को *जल* तथा शीध्र *सुपाच्य* भोजन की अधिक आवश्यकता होगी और वह भोजन है खिच, लापसी व दलिया आदि।

ये सब दूध, दही आदि मिला कर खाणे से शरीर तमनै धन्यवाद देगा।

सुन ल्यो इसके फायदे अर खाण के कायदे:-

दलिया:
गेँहू, बाजरा, मक्की, जौ आदि को दरदरा पीस कर तैयार किये जाने टुकड़ो को दलिया कहते हैं। इस दलिये को सादा या मनपसन्द दालों और सब्जियों के साथ पकाकर इसका सेवन किया जाता है।

दलिया को बनाने का तरीका बहुत ही आसान होता है. इसे दूध फलों और ड्राई फ्रुट के साथ बनाया जा सकता है। दलिया आप अपने स्वादानुसार बना सकते हैं जैसे कि मीठा या नमकीन। वहीं कई समृद्ध ग्रामीण लोगों द्वारा इसे दूध में भी बनाया जाता है, जबकि कई शहरी गरीब लोग इसे पानी में भी बनाकर खाते हैं।

गेँहू के पके हुए दलिये को मारवाड़ में " *थूल्ली* " कहते हैं। गेँहू के दलिये को छानकर एक समान आकार के दानों को अलग कर लिया जाता है, उसे " *बाट* " कहते है और उसी बाट को गुड़ के साथ पकाकर मांगलिक पकवान लापसी बनाई जाती है।

मक्की के पके हुए दलिये को " *घाट* " कहते हैं, उसे *छाछ* , *दही* और *सब्जियों* के साथ ठंडा या गर्म मौसम के अनुसार सेवन किया जाता है।

*खीच* या *खीचड़ा* :
साबुत गेँहू को अच्छी तरह से साफ करके उसे पानी से हल्का सा नम करके थोड़ी देर रखते हैं और बाद में उसे *हमामदस्ते* या ऊखल में मूसल से हल्का सा कूटते है, आजकल गरीब लोग इसे मिक्सर में थोड़ी देर चला बणाते हैं पर उससे इसकी गुणवत्ता कम हो जाती है, फिर उसे एक छाज में लेकर हाथ से मसलते हुए फटक कर उसके छिलके को अलग कर लेते हैं और वापस से *हमामदस्ते* या *ऊखल* में कूटकर उसके बड़े टुकड़े कर लेते हैं।

छिलके उतरे हुए इन बड़े टुकड़ों को साबुत मूंग के साथ पकाकर खीच या खीचड़ा बनाया जाता है। थाली में इस खीच को बहुत सारे देशी घी के साथ हाथों से अच्छी तरह से मथकर आटे व गुड़ से बनी " *गलवाणी* " के साथ इसका सेवन किया जाता है। राजस्थान में विशेषकर अक्षय तृतीया यानी *आखातीज* के दिन अवश्य ही बनाया जाता है।

*दलिया, खीच, खीचड़ा खाने के फायदे* :

दलिया हमारी सेहत के लिए बहुत ही लाभप्रद होता हैं, दलिया खाने से आपके शरीर को कई प्रकार से फायदा पहुंचते हैं हालांकि पश्चिमी जगत की खाणे का सामान बेचणे वाली कंपनियों ने यह *दुष्प्रचार* किया कि बीमार लोगों को ही दलिया खिलाया जाता है परन्तु ये धारणा गलत है और दलिया सभी लोगों स्वस्थ रहने के लिए इसे जरूर खाणा चाहिए।

दलिये में कई प्रकार के विटामिन और प्रोटीन पाये जाते है. इसके साथ ही दलिये में लो कैलोरी और ज्यादा फाइबर भी होता और ये दोनों चीजें शरीर के लिए लाभकारी होती है। दलिया आपके शरीर में कई प्रकार के पोषक तत्वों जो की कम होते हैं उनको पूरा भी करता है दलिये में आयरन, मैग्नीशियम,जस्ता, तांबा, फास्फोरस और प्रोटीन आदि भी होते हैं।   

आजकल के दौर में बाहर का खाणा खाणे से हर किसी को कोलेस्ट्रॉल बढणे की समस्या आम है लेकिन शरीर में ज्यादा मात्रा में फाइबर होने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रण में रखा जा सकता है और दलिया व खिचड़ी में फाइबर होता हैं इसलिए इसको खाने से कोलेस्ट्रॉल अधिक होने की समस्या को कम किया जा सकता है इसके साथ ही दलिया खाने से मनुष्य को दिल से संबन्धित बीमारियां भी नहीं होती है।

आजकल के बच्चों में *अड़ंग-बड़ंग* खाणे से वजन बढ़ने की समस्या अधिक बढ़ रही हैं वहीं दलिये को सुबह के वक्त खाने से शरीर को पूरा आहार मिलता है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट की सही मात्रा पाई जाती है जिससे वजन नहीं बढ़ता हैं और थोड़ा सा दलिया खाने से ही पेट भरा जाता हैं अर उनका वजन कोन्या बढता।


आजकल अधिक लोगों में हड्डियां कमजोर होने की समस्या पाई जा रही है अर दलिये को रोजाना खाने से हड्डियों में मजबूती आती है क्योंकि दलिये में मैग्नीशियम और कैल्शियम अधिक मात्रा में होते हैं। दलिया रोजाना खाने वालों को उम्र बढ़ने पर भी घुटनों में दर्द नहीं होता है। इसके साथ ही दलिया के सेवन से पथरी की परेशानी भी दूर होती है।

दलिया और साबुत अनाज में मैग्नीशियम पाया जाता है और मैग्नीशियम कई तरह के एंजाइम बनाता है, जो इंसुलिन के बनाने में कारगर होते हैं और साथ ही ये ग्लूकोज को भी ब्लड तक पहुंचाते हैं। रोजाना दलिया खाने से डायबिटीज होने की दिक्कत भी दूर होती है।

शरीर में आयरन की मात्रा थोड़ी होने से इसका असर हीमोग्लोबिन पर पड़ता है और हीमोग्लोबिन की कमी  शरीर में हो जाती है। हीमोग्लोबिन की कमी से शरीर में कमजोरी और थकान आती है लेकिन दलिये में आयरन की मात्रा काफी होती है, जो बॉडी में हीमोग्लोबिन की मात्रा को सही कर देता है और ये शरीर के तापमान सहित मेटाबॉलिज्म को भी सही रखता है।

दलिया खाने से व्यक्ति पूरा दिन शरीर में ताकत अनुभव करता है, क्योंकि दलिये में कार्बोहाइड्रेट होता है। रोजाना इसको खाने से शरीर को कई तरह के  विटामिन और मिनरल्स आदि मिलते है।

दलिया का रोजाना सेवन करने से पाचन तंत्र सही से कार्य करता है और फाइबर से भरपूर होने के कारण ये पेट के रोगों को आसानी से दूर करने में सहायता भी करता है। अर जै पेट सही तै सेहत सही✅।

दलिया एक प्रकार का पौष्ट‍िक भोजन है जो पोषण की सभी जरूरतों को पूरा करता है और अगर आपको ज्यादा खाना खाना पसंद नहीं है, तो आप दलिया का सेवन कर शरीर को सभी जरूरी तत्व दे सकते हैं।

दलिये में पाए जाने वाले विटामिन और खनिज हमारे इम्युनिटी सिस्टम को मजबूती प्रदान करते हैं। इसलिए कमजोर इम्युनिटी सिस्टम वाले लोगों को रोजाना दलिया खाना चाहिए।

इसमें मौजूद मैग्नीशियम न्यूरोट्रांसमीटर का अच्छा स्रोत हैं। जब शरीर न्यूरोट्रांसमीटर को रिलीज करता हैं, तो मन शांत होता हैं और इससे अच्छी नींद आती हैं। इसलिए जिन लोगों को नींद नहीं आती है वो इसको जरूर खाएं।


दलिया बहुत ही हल्का और स्वादिष्ट आहार हैं। इसे अधिक लोगों द्वारा सुबह खाया जाता है और इसे ज्यादातर सर्दियों में पसंद किया जाता हैं। एक शोध के अनुसार यह पता चला है कि इसे खाने से अच्छी नींद आती हैं और इसे रात में खाना भी अच्छा माना जाता है।

तो साथियों *बंद करो बिमारियों का रोणा,*
 *खाओ देशी अर हो ज्याओ शुरू स्वस्थ होणा* ।

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