- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में शिक्षक भर्ती में अनुसूचित जनजाति को उनके क्षेत्र में दिए जा रहे 100% आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने 22 अप्रैल 2020 को ठहराया गैर-कानूनी ।
1. यह फैसला किसने सुनाया :-
- जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में बनाई गई पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक बेंच ने यह फैसला 22 अप्रैल ,2020 को सुनाया ।
2. क्या था पूरा मामला :-
- वर्ष 2000 में जब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना एक थे ,इनका विभाजन नही हुआ था तब वहां के राज्यपाल ने एक आदेश जारी किया था के शिक्षकों की भर्ती में अनुसूचित जनजाति वाले क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति वाले लोगो को 100% आरक्षण दिया जाएगा ।
- सामान्य भाषा मे कहे तो अनुसूचित जनजाति वाले क्षेत्र में केवल अनुसूचीत जनजाति वाले लोग ही शिक्षक की नौकरी ले सकेंगे ,और वही लोग वहापे पढ़ाएंगे ।
3. यह आदेश राज्यपाल ने कैसे दिया :-
- हमारे संविधान में अनुसूचित जनजाति वाले क्षेत्रो के के संरक्षण और इन क्षेत्रो में कानून बनाने के लिए दो अनुसूची है :-
a. अनुसूची VI - इसमे केवल चार राज्य है , असम ,मेघालय, त्रिपुरा ,मिज़ोरम ।
b.अनुसूची V - इसमे 10 राज्य को रखा गया है ,जिसमे से एक आंध्र प्रदेश है ।
- इस अनुसूची का 5(1) पैराग्राफ (सामान्य भाषा मे ) यह कहता है के " राज्यपाल के पास यह विशेष अधिकार है के राज्य या केंद्र सरकार द्वारा इन क्षेत्रों के लिए बनाये गए कानूनों को राज्यपाल चाहे तो लागू होने से रोक सकता है ,या उसमे थोड़ा फेरबदल करके उसे लागू कर सकता है ।
- इसी में तहत राज्यपाल ने यह आदेश जारी किया था
- राज्यपाल का यह आदेश जारी करने के पीछे कारण बताए के दूसरे शिक्षक इन क्षेत्रों में नौकरी लेने के बाद यहां पढ़ाने के लिए स्कूल कभी नही आते , और यह क्षेत्र बहुत पिछड़ा है इसलिए यहां के लोगो के विकास के लिए उन्हें ही नौकरी देनी चाहिए ।
4. कुछ समय बाद यह मामला कोर्ट में पहुचा :-
-हाई कोर्ट का फैसला :- हाई कोर्ट ने इस आदेश को सही ठहराया और कहा के विशेष परिस्थितियों में यह आरक्षण दिया जा सकता है ।
-बादमे मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुचा और सुप्रीम कोर्ट ने इसपे निम्न फैसले दिए :-
- सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी जजमेंट को भी दोहराया है, जिसके अनुसार आरक्षण संवैधानिक रूप से वैध है अगर वह 50 प्रतिशत से आगे नहीं जाते हैं, और यह आदेश इसका उल्लघंन है ।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा ये कोई विशेष परिस्थिति नही है ,अगर शिक्षक नही आते तो उनपे करवाई की जाए
- कोर्ट ने कहा के पांचवी अनुसूची के तहत राज्यपाल केंद्र और राज्य के कानून को लागू होने से रोक सकता है , लेकिन वह नया कानून बनाके उसे लागू नही कर सकता है ।
- कोर्ट ने इसे तीन अनुच्छेदों का उल्लघन बताया है :-
अनुच्छेद 14 ,अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 , और कहा के यह एक प्रकार से दूसरे लोगो के नौकरी पाने के अवसर के प्रति भेदभाव था , इसलिए इसे खारिज कर दिया गया ।
NOTE:- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के विभाजन 2 जून ,2014 को हुआ था और तेलंगाना नया राज्य बना था ।
stayhome#like#share#current affairs by ajit singh 👍
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
Click to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.