एक तरफ अनलॉक का फायदा उठाकर लोग शादियों में घोर लापरवाही बरत रहे हैं तो दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी है जो कोरोना काल को लेकर पूरी सावचेती के साथ सादगीपूर्ण विवाह आयोजन कर रहे हैं। बालोतरा में 30 जून को शुभ मुहूर्त में एक ऐसी शादी देखने को मिली, इसमें पंडित की जगह भगवान को साक्षी मानकर वर-वधू ने परिणय सूत्र में बंधकर सुखी दांपत्य जीवन शुरू किया। मात्र डेढ़ घंटे में गिने-चुने परिजनों की उपस्थिति में वर-वधू ने एक-दूसरे को माला पहनाई तथा भगवान का आशीर्वाद लेकर शादी की रस्म पूरी की। इसमें न तो बैंड बजा, न बारात आई न ही कोई खाना हुआ। ऐसा कदम कोरोना काल में हर किसी के लिए नई मिसाल दे रहा है।
वर के पिता की इच्छा पूरी हुई
बालोतरा में रहने वाले लूणचंद तातेड़ बताते हैं कि करीब डेढ़ माह पहले ही उसके पुत्र लोकेश(अरिहंत) की सगाई बालोतरा निवासी पुष्पराज सालेचा की पुत्री कविता के साथ हुई थी। शुरू से उनका मानस बाबा रामदेव भगवान की विश्राम स्थली बाबा रामदेव मंदिर में शादी करवाने का था। इसके बारे में उन्होंने वधु पक्ष को बताया था। उन्होंने बाबा रामदेव मंदिर में ही शादी रचने पर सहमति जाहिर की। वर के पिता लूणचंद भी बाबा रामदेव के भक्त है।
भगवान को साक्षी माना, मात्र डेढ़ घंटे में शादी
शादी के लिए 30 जून को शुभ मुहूर्त था। इस दिन 11.30 बजे वर वधु के साथ उनके परिवार से 5-5 लाेग बाबा रामदेव मंदिर पहुंचे। इसके बाद वहां पर परिक्रमा लगाकर फेरे लिए। भगवान को साक्षी मानकर वर वधु ने एक दूजे को माला पहनाई तथा परिणय सूत्र में बांधकर दाम्पत्य जीवन शुरू किया। करीब 1 बजे परिजनों ने वर वधू को आशीर्वाद दिया तथा लड़की वालों ने विदा किया। खास बात यह है कि इस अनोखी शादी में पंडित की जगह भगवान को साक्षी माना। यह बालोतरा में पहली ऐसी शादी है जो मन्दिर में हुई।
न संगीत रखा और न ही प्रीतिभोज का आयोजन
कोरोना काल मे सावधानी बरतने की सबसे ज्यादा जरूरत है। दूल्हा दुल्हन की शादी पहले से ही मंदिर में करने की इच्छा थी जो सादगीपूर्ण रही। इसमें न संगीत रखा न ही प्रीतिभोज का आयोजन। मंदिर में देवताओं को ही साक्षी माना।- लूणचंद तातेड़, वर के पिता।
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