बैंकाें से फसली लाेन लेने वाले किसानाें काे अब फसल बीमा कराना अनिवार्य नहीं रहेगा। यह किसान की इच्छा पर निर्भर रहेगा कि वह अपनी फसल का बीमा कराए या न करवाए, लेकिन स्वेच्छा का यह विकल्प आठ जुलाई तक लिखित में बताना होगा, अन्यथा उस किसान को बीमा में शामिल कर लिया जाएगा।
दरअसल, पिछले दस साल के आंकड़े बताते हैं कि जिले में फसल बीमा के नाम पर किसानाें से प्रति वर्ष कराेड़ाें रुपए बीमा कंपनियां वसूलती रही हैं। वसूले गए प्रीमियम से आधी राशि भी क्लेम में नहीं दी जाती, लेकिन किसान काे न चाहते हुए भी निजी कंपनियाें से फसल बीमा कराना पड़ता था, क्योंकि किसान ने बैंकाें व सहकारी संस्थाओं से लाेन लिया हुआ होता है। बीमा कंपनियां किसानाें से प्रीमियम वसूल लेती, लेकिन क्लेम के मामले में आनाकानी, व टालमटाेल का रवैया अपनाती रही हैं।

इसको लेकर किसानाें के असंताेष काे देखते हुए अब सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा काे स्वैच्छिक कर दिया है। जाे किसान सहकारी बैंक से लाेन ले रहे हैं वे भी अपनी इच्छा हाेने पर ही फसल का बीमा करा सकेंगे। वे बैंक में लिखित में दे सकते हैं कि वे फसल बीमा नहीं कराना चाहते।

फसल बीमा से अलग रहने के इच्छुक ऋणी किसान को 8 जुलाई तक संबंधित बैंक शाखा में आवेदन करना होगा। कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने पिछले दिनाें इसकी घाेषणा की है। केंद्र सरकार ने फसल बीमा कराने की अंतिम तिथि 15 जुलाई निर्धारित की है।
किसान संघर्ष समिति संयाेजक गाेकुलचंद साेनी ने कहा कि फसल बीमा का प्रीमियम राज्य सरकार व केंद्र सरकार तथा किसान तीनाें मिल कर वहन करते। फसल बीमा स्वैच्छिक हाेने से किसान के हिस्से का प्रीमियम में दी जानी वाली राशि सरकार काे नहीं जमा करानी हाेगी। बीमा कंपनियां प्रीमियम लेने में रुचि दिखाती है, लेकिन खराबे में किसान काे क्लेम देने में अानाकानी करती है। कई बार ताे सरकार व काेर्ट की शरण लेनी पड़ी। अब लाेन लेने पर बैंक वाले किसान काे फसल बीमा के लिए मजबूर नहीं कर पाएंगे।

सहकारी बैंक से 80 हजार किसान लेते हैं लाेन, इन्हें करवाना होता बीमा
जिले मेंअकेले सहकारी बैंक से 80 हजार किसान फसली लाेन लेते हैं। उन्हें अनिवार्य रूप से फसल बीमा कराना हाेता था, लेकिन क्लेम के नाम पर उन्हें कुछ नहीं मिलता था। जिले में अलसीसर ब्लाॅक काे छाेड़ कर अधिकांश हिस्सा सिंचित क्षेत्र में आता है। इस कारण फसल खराबे का क्लेम भी केवल इसी क्षेत्र में आता था। अन्य क्षेत्राें में बीमा कंपनी औसत उत्पादन बता कर क्लेम निरस्त करती रही हैं।

पिछले साल का क्लेम नहीं आया
फसल बीमा किसानाें के फायदे के लिए लागू की गई, लेकिन किसानों के खाते में पिछले साल की खरीफ फसल का क्लेम अभी तक नहीं आया है।



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