(हर्ष खटाना) परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने काेराेना फैलाने के लिए चुनाव कराने की अनुमति देने वाले काेर्ट काे जिम्मेदार ठहराकर एक बार फिर राज्य सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। परिवहन मंत्री अपने बयान पर अभी भी कायम हैं, जबकि हाईकाेर्ट के पूर्व जजाें ने प्रताप सिंह खाचरियावास के बयान काे आड़े हाथ लिया है। उनका कहना है कि प्रताप सिंह खाचरियावास काेर्ट और पब्लिक दाेनाे का कंटेम्प्ट कर रहे हैं। बेहतर हाेगा कि राज्य सरकार अपने मंत्रियाें काे काबू में रखे और काेर्ट काे हल्के में लेने की भूल न करे।
जाने किसने क्या कहा
खाचरियावास बोले थे-सरकार नहीं चाहती थी, लेकिन हाईकाेर्ट और सुप्रीम कोर्ट की अनुमति से चुनाव हुए और काेराेना फैला चुनाव से काेराेना फैलने की आशंका के चलते राज्य सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनाव रुकवाने के लिए गई थी। तब काेर्ट ने राज्य सरकार की बाताें काे खारिज कर दिया था। उसका अंजाम ये है कि चुनाव के बाद काेराेना और तेजी से बढ़ा है। खासकर जयपुर में। जज और मजिस्ट्रेट ताे वर्चुअल सुनवाई कर रहे हैं और जनता काे चुनाव और वाेटिंग में डाल दिया।
चुनाव के कारण भीड़ जुटने से जगह-जगह काेराेना बढ़ा है। हमारी सरकार के तर्कों काे खारिज करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज अब राज्यों से भयावह हालातों काे लेकर रिपोर्ट मांग रहे हैं। हम हाईकाेर्ट, सुप्रीम काेर्ट सहित सभी कोर्टों का सम्मान करते हैं। ऐसे में काेराेना के खिलाफ जारी हमारी लड़ाई में ये सवाल उठते हैं कि इन हालाताें में चुनाव कराना उचित था क्या?
-प्रताप सिंह खाचरियावास, परिवहन मंत्री
काेराेना फैलाने के लिए काेर्ट काे जिम्मेदार ठहराने का मतलब है कि परिवहन मंत्री काेर्ट काे बहुत हल्के में ले रहे हैं
काेर्ट के फैसलों पर सवाल खड़ा करने का मतलब है कि संविधान लाकर लोकतंत्र काे प्रभावित किया जा रहा है। ये बेहद गलत है। सीएम काे मंत्रियों काे काबू में रखने की जरूरत है। हाल ही में हम देख चुके है कि कैसे स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा काेराेना पॉजिटिव हाेते हुए अस्पताल का दाैरा कर रहे थे। उनके पीछे पुलिसकर्मी व अन्य लाेग भी थे। इसके बाद प्रताप सिंह की इस तरह की बातें सामने आने का स्पष्ट मतलब है कि ये ज्यूडिशियल सिस्टम काे चुनौती दे रहे हैं। बहरहाल समय रहते हुए ये खुद पर कंट्रोल करें ताे ठीक वरना काेर्ट क्या हाेता है ये काेर्ट ही समझा देगा।
- शिव कुमार शर्मा, राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस
कोर्ट के फैसलों पर सवाल गलत, मंत्रियाें काे बयानबाजी से बचने की हिदायत देते हुए सरकार के मुखिया काे आगे आना चाहिए
आमजन के स्वास्थ्य के प्रति काेर्ट हमेशा जागरूक रहा है। चिकित्सा, पर्यावरण व आमजन के गारिमामय जीवन से जुड़े कई मामलों मे काेर्ट आगे बढ़कर सुनवाई की है। काेर्ट काे अपने फैसलाें में संविधान की रक्षा और लाेकतंत्र बचाने के मूल्याें पर भी ध्यान रखना हाेता है। ऐसे में काेर्ट के निर्णयाें से काेराेना फैलाने की बात करना जनता और काेर्ट दाेनाे का कंटेम्प्ट है।
एक कैबिनेट स्तर के व्यक्ति काे इस तरह की बातें शाेभा नहीं देती। ऐसे में सरकार के मुखिया काे इस ओर देखना चाहिए और अपने मंत्रियों काे इस तरह की बयानबाजी से बचने की हिदायत देनी चाहिए। काेर्ट के फैसलाें पर इस तरह से सवाल खड़े करना बिलकुल गलत है। -पानाचंद जैन, राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस
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