कस्बे के बीच स्थित राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में मोर्चरी नहीं होने से वर्षों से पुलिस व अस्पताल प्रबंधन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। वैसे भी श्रीमाधोपुर सीएचसी को रेफरल अस्पताल के नाम से जाना जाता है। इसके बावजूद अस्पताल में शव रखने के साथ पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी नहीं है।

इसके कारण जनरल महिला वार्ड, लैब, गायनिकी वार्ड के बेहद नजदीक सीढ़ियों के पास वेंटिलेंशन के लिए बनाई गई गैलरी में ही शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है, जहां पोस्टमार्टम होता है वहीं पास ही सामान्य ओपीडी का कमरा है, जिसमें फिजिशियन मरीजों को देखते हैं। ऐसे में संक्रमण का डर बना रहता है। यहां महीने में औसतन 10 से 12 पोस्टामर्टम होते हैं। कई बार लावरिस शव दो से तीन दिन तक यहां सड़ांध मारता रहता है। इसके कारण मरीजों व डाॅक्टरों को परेशान होना पड़ता है।
मोर्चरी के अभाव में अस्पताल प्रबंधन को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो सीएचसी में एक दिन में दो से तीन शव रखने पड़ जाते हैं। ऐसे में पोस्टमार्टम सहित शवों की सारसंभाल में भी काफी परेशानी होती है। कभी मृतक की पहचान नहीं होने पर शव को रातभर अस्पताल में रखने से शव से उठने वाली बदबू से सांस लेना दूभर हो जाता है।

शवों की सुरक्षा के लिए नहीं है बंदोबस्त, जहां होता है पोस्टमार्टम
सीएचसी परिसर काफी छोटा है। यहां मरीजों को देखने के लिए बने डॉक्टरों के चार कमरों व लैब के वेंटिलेशन के लिए सीढ़ियों के पास जगह छोड़ी गई है जो खुली है। इसी जगह पर शवों को रखा जाता है तथा खुले में पोस्टमार्टम किया जाता है। महिला वार्ड, गायनिक वार्ड, लैब 5 से 10 फीट की दूरी पर है। यहां अज्ञात शवों को सुरक्षित रखने के लिए बर्फ का बंदोबस्त भी नहीं किया जा रहा है। बर्फ के अभाव में शव जल्दी सड़ने लग जाते हैं। ऐसे में संक्रमण का खतरा बना रहता है।

एमआरएस की बैठक में कई बार लिए प्रस्ताव, लेकिन नहीं बनी मोर्चरी
अस्पताल की स्थापना के बाद से ही मोर्चरी की कमी है। क्षेत्र में आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं व अन्य कारणों से किसी व्यक्ति की मौत हो जाने पर रात के समय मोर्चरी के अभाव में शव रखने में परेशानी होती है। एमआरएस की मीटिंग में कई बार मोर्चरी बनाने का प्रस्ताव लिया गया, लेकिन मोर्चरी नहीं बनी। कई बार मोर्चरी बनाने के लिए निदेशालय को पत्र भी लिखा जा चुका है।

जहां होता है पोस्टमार्टम उसी के पास डॉक्टर देखते हैं मरीज, संक्रमण का खतरा
^सीएचसी में मोर्चरी का अभाव है। सीएचसी में सीढ़ियों के पास खुले में पोस्टमार्टम करना पड़ता है, जिससे अस्पताल प्रबंधन के साथ मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मोर्चरी बनाने के लिए विभाग को कई बार पत्र लिखा जा चुका है। अगर मोर्चरी के लिए बजट मिले तो ब्लॉक सीएमओ कार्यालय में मोर्चरी बनाने के लिए पर्याप्त जगह है।
डॉ. जेपी सैनी, ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी, श्रीमाधोपुर

^मेरी मौजूदगी में आयोजित मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी की बैठक में मोर्चरी बनाने का प्रस्ताव लिया गया है। संसाधन उपलब्ध होते ही मोर्चरी का निर्माण शीघ्र शुरू करवाया जाएगा।
दीपेन्द्र सिंह शेखावत, विधायक, श्रीमाधोपुर


एमआरएस की मीटिंंग में मोर्चरी बनाने का प्रस्ताव लिया गया है, जिसकी स्वीकृति के लिए आगे विभाग को भेजा जाएगा।
डॉ. राजेश मंगावा,सीएचसी प्रभारी, श्रीमाधोपुर



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श्रीमाधोपुर.महिला वार्ड के सामने सीढ़ियों के पास खुले गलियारे में सामान्य ओपीडी के पास होता है पोस्टमार्टम।
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