इस साल अधिक मास के चलते कई त्योहार देरी से आ रहे हैं। इस बार श्राद्ध खत्म होते ही अधिक मास शुरू हो गया। इस कारण नवरात्र भी एक माह देरी से 17 अक्टूबर से शुरू हो रही है। घटस्थापना के दिन 17 अक्टूबर से सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। 18 अक्टूबर को तीसरे दिन तीन गुना शुभ फल देने वाला त्रिपुष्कर योग भी रहेगा।

ज्योतिषियों की माने तो इस बार घटस्थापना पर विशेष संयोग बन रहा है। पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र शुरू होती है। इस बार यह तिथि 17 अक्टूबर को है। उधर, चातुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं हो रहे हैं। इस काल में पूजन पाठ, व्रत, उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है।

इस दौरान देव सो जाते हैं, देवउठनी एकादशी के बाद ही देव जागेंगे। पंडितों के अनुसार हर साल पितृपक्ष के समापन के अगले दिन से नवरात्र आरंभ हो जाते हैं और घट स्थापना के साथ 9 दिनों तक माताजी की पूजा होती है, लेकिन इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अधिक मास लग गया। इससे नवरात्र और
पितृपक्ष के बीच 1 महीने का अंतर आ गया। पंडित के अनुसार घट या कलश स्थापना का नवरात्र में विशेष महत्व है। इसे नवरात्र के पहले दिन किया जाता है। शुभ मुहूर्त में घट स्थापना पूरे विधि
विधान के साथ की जाती है।

इस बार पांच माह का है चातुर्मास
आश्विन मास में मलमास लगना और 1 महीने के अंदर दुर्गा पूजा आरंभ होना ऐसा संयोग करीब 19 साल बाद होने जा रहा है। इससे पहले वर्ष 2001 में शारदीय नवरात्र पुरुषोत्तम मास के बाद पड़ी थी। लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है। इसलिए इस बार चातुर्मास जो हमेशा 4 माह का होता है] इस बार 5 महीने का होगा। अधिक मास 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके चलते 17 अक्टूबर से नवरात्र व्रत रखे जाएंगे। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। इसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे। इसके बाद ही शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि कार्य शुरू होंगे।

सूर्य, बुध के साथ होने से मिलेगा साधना का फल
ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार नवरात्र में ग्रहों की स्थिति ऐसी है कि इनमें की गई पूजा, अनुष्ठान सिद्धि सफल होंगे। तुला लग्न में सूर्य विराजित हैं। सूर्य लाभेश होकर तुला लग्न में बुध के साथ विराजित हैं। इस स्थिति में पूजा-पाठ अनुष्ठान, साधना की जाती है तो निश्चित ही पूर्ण सफलता धन्-धान्य सुख समृद्धि मिलने की मान्यता है। क्योंकि इस दौरान मकर राशि में शनि देव, सिंह राशि में शुक्र, वृश्चिक राशि में केतु, धनु राशि में गुरु, वृषभ राशि में राहु और मीन राशि में मंगल ग्रह विराजित हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Tripushkar and Sarvartha Siddhi Yoga in Navratri
Via Dainik Bhaskar https://ift.tt/1PKwoAf

Advertisement

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
Top