
कोरोना काल में पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था के अलावा उम्मीद से विपरीत आम लोगों की मदद का भी बीड़ा उठाया। लगभग तीन महीने तक पुराने शहर में सख्त कर्फ्यू लागू रहा। इस यहां के तीनों थानों के पुलिसकर्मी लोगों के सबसे बड़े मददगार बनकर उभरे।
कैथूनीपोल, मकबरा और रामपुरा थानों ने एक तरह से एकल खिड़की की तरह काम किया। जिसको कोई भी जरूरी होती तो वो वहीं जाता क्योंकि सारे सरकारी कार्यालय बंद थे। ऐसे में थानों ने ही आम लोगों तक दवाएं, सब्जियां, राशन और अन्य जरूरत की चीजें पहुंचाईं।
इस इलाके में सबसे पहले कैथूनीपोल थाना पड़ता है। कर्फ्यू के दौरान इससे आगे जाना नामुमकिन था। ऐसे में सब्जी और राशन के ट्रक यहीं आकर खाली होते थे। और यहां के पुलिसकर्मी इनको आगे तक पहुंचाते थे। ऐसे में किसी को भी जरूरी सामान की कमी नहीं हुई। ये थाना पहली मंजिल पर चलता है, लेकिन कोरोनाकाल में यहां के थानेदार ने मॉनिटरिंग के लिए चौराहे पर ही कुर्सी लगा ली।
जब पुलिस बन गई अन्नदाता, हर थाने ने गोद ले लिए 100 जरूरतमंद व्यक्ति
कोरोना महामारी में फ्रंटलाइन पर लड़ रही कोटा शहर पुलिस ने एक अनूठी मिसाल पेश की। डीआईजी रविदत्त गौड़ और तत्कालीन एसपी गौरव यादव ने हर थाने को 100 लोगों को गोद लेने का जिम्मा सौंप दिया। ये ऐसे लोग थे, जिनको किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा था। कोरोना काल में इन लोगों का कोई नहीं था और ये भोजन के लिए सिर्फ दूसरों पर निर्भर थे। पुलिस ने करीब 50 दिन तक ऐसे लोगों तक भोजन के पैकेट पहुंचाए।
कर्फ्यू के समय अभय कमांड के कैमरे बने पुलिस के अचूक हथियार,
कर्फ्यू के दौर में अभय कमांड सेंटर के करीब 400 कैमरे पुलिस के अचूक हथियार बनकर सामने आए। शहर के एंट्री-एक्जिट प्वाइंट से लेकर अंदरूनी इलाकों और प्रमुख चौराहों की पुलिस ने सीएडी सर्किल स्थित अभय कमांड सेंटर से ऑनलाइन मॉनिटरिंग की। कमांड सेटर में 56 पुलिसकर्मी ऑनलाइन मॉनिटरिंग करने के लिए तैनात थे। इसी टीम की मुस्तैदी से पुलिस ने कोटा में गुपचुप तरीके से आए 16 जमाती पकड़े थे।
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