*परिवहन विभाग का नाम नया पर ढ़र्रा वही पुराना


*राजस्थान सरकार* ने अपने परिवहन विभाग का नाम बदलकर परिवहन विभाग और सड़क सुरक्षा तो कर दिया है लेकिन सड़क पर सुरक्षित परिवहन को लेकर आज भी स्थिति जस की तस है । राज्य में अलग-अलग स्थानों पर आएं दिन हो रही सड़क दुर्घटनाएं कम होने का नाम नही ले रही है । सरकार आलीशन दफतरों में बैठकर बहुत कुछ कर लेती नजर आ रही है मगर धरातल पर इसका असर देखने को नही मिल रहा है । जिसके चलते दिन-प्रतिदिन राज्य में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भी विभाग के प्रयास नाकाफी ही नही बल्कि कहीं कार्यरूप में परिणित होते भी नजर नही आ रहे है ।  


  बाड़मेर जिले के बालोतरा क्षेत्र में हाल ही 10 नवम्बर 2021 को हुई भीषण सड़क दुर्घटना की चर्चा और चिन्ता पूरे देश भर में हुई । यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से लेकर स्वयं मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने भी इस दुर्घटना पर दुख जाहिर किया, अपनी सांत्वना प्रकट की । परन्तु उस दुर्घटना के कारणों और जिम्मेदार व्यक्तियों अथवा अधिकारियों पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही अमल नही लाई गई । बस दुर्घटना में कई यात्रियों की मौत हुई है । प्रदेश की सड़कों पर दौड़ रहे सरकारी एवम् निजी क्षेत्र से जुड़े परिवहन के साधनों की फिटनेस, बीमा आदि को लेकर परिवहन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई होती नजर नही आ रही है । जिसके चलते अवैध तरीके से सैंकड़ों वाहन प्रतिदिन सड़कों पर बेधड़क दौड़ रहे है ।
 
  राज्य की राजधानी जयपुर एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में ट्रैफिक दुर्घटनाओं एवं दुर्घटना में हुई मौतों के मामले में टॉप टेन में हैं । देश के कई महत्वपूर्ण शहरों को भी राज्य की राजधानी जयपुर सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में पीछे छोड़ती नजर आ रही है । जहां एक ओर सरकार की सड़क दुर्घटनाओं के रोकथाम को लेकर सख्त नीति नही होने के साथ-साथ सड़कों पर बेपरवाह होकर चल रहे नगारिकों की भी उतनी की उतनी जिम्मेदारी बनती है । आम नागरिकों को सजग व सतर्क होकर वाहनों का संचालन तथा पैदल अथवा वाहन में होने पर यातायात के नियमों की जागरूकता से पालना करने की जरूरत है ।

  बाड़मेर जिले में हाल ही में हुई भीषण सड़क दुर्घटना के बाद एक बार फिर से परिवहन विभाग पर कई सवाल खड़े हुए हैं । जिसमें महत्वपूर्ण यह है कि विभाग और विभागीय अधिकारियों की ओर से सिर्फ राजस्व अर्जित करने को ही लक्ष्य बना रखा है । जबकि परिवहन व सड़क सुरक्षा विभाग की नाक के नीचे सैंकड़ों वाहन मनमर्जी व नियमों को ताक पर रखकर दौड़ रहे है । यदि इन वाहनों के दस्तावेजों की गंभीरता से जांच की जाये तो भी सड़क दुर्घटनाओं में काफी कमी लाई जा सकती है।


सड़क दुर्घटनाओं के कारण
  सड़क दुर्घटना सबसे अधिक ओवर स्पीडिंग अर्थात तेज गति की वजह से होती है । जिस चलते चालक ऐनवक्त पर वाहन को नियंत्रित नही कर पाता है और वह हादसे को अंजाम देता है । जिस पर नियंत्रण गहुत जरूरी है । साथ ही ड्राइविंग के दौरान यातायात नियमों का उल्लंघन, पर्याप्त आराम नही मिलना, असुरक्षित वाहन, खराब सड़कें व मौसम, नशे में गाड़ी चलाना, ओवर स्पीड़िंग व ओवर लॉडिंग, आपातकालीन चिकित्सीय सुविधाओं का अभाव, निगरानी की कमी, गुणवत्तापूर्ण ड्राइविंग स्कूलों की कमी, ट्रैफिक इंजीनियरिंग, आदि सड़क हादसों के कारण रहते है । वहीं सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों को लेकर मंथन किया जाए तो एक मूल बात निकल सामने आती है कि सड़क दुर्घटना में घायल अथवा गम्भीर घायलों को समय पर अस्पताल नही पहुंचाने व इलाज नही मिलने के कारण भी मौतें हो रही हैं ।


सड़क दुर्घटना रोक के उपाय
  राज्य में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम लगाना बहुत ही जरूरी होता जा रहा है जिसके लिए समय पर अति-आवश्यक व कड़े कदम उठाएं जाने की जरूरत है । ऐसे में राज्य में यातायात नियमों की सख्ती से पालना, नशे में धुत ड्राईविंग पर कड़ाई से कार्यवाही, जागरूकता और जिम्मेदारी जरूरी, विभागीय अधिकारियों की सड़कों पर भूमिका बढ़ाना, अधिक सड़़क हादसों वाले स्थानों की पहचानकर उचित कार्यवाही करना, ओवर लॉडिंग पर सख्त कार्यवाही, विद्यालय स्तरीय पाठ्यक्रमों में सड़क सुरक्षा को स्थान दिलाना सहित तमाम आवश्यक कानूनों को प्रस्थािपत कर सड़क हादसों पर कुछ हद तक रोक लगाना सम्भव है ।
 
  निष्कर्ष रूप में इतना ही कहते सकते है कि राज्य में बढ़ रहे सड़क हादसे चिन्ता का विषय है । जिससे प्रतिवर्ष सड़क हादसों में बहुत बड़ी तादाद में जान-माल की हानि होती है । इस विषय पर हमें नए सिरे एवं नए नजरिए से विचार-मंथन कर निष्कर्ष निकालने जरूरत है । जिस हेतु आवश्यक कानूनों के साथ विभागीय अधिकारियों को दिलचस्पी लेकर कार्य करना अब बहुत ही जरूरी हो गया है । वहीं सड़कों पर नियमों की अनदेखी व उल्लंघन कर दौड़ रहे वाहनों पर बड़ी कार्यवाही से ही सड़क हादसों पर रोकथाम सम्भव हो पायेगी । साथ ही आमजन में यातायात के नियमों के  प्रति जन-जागरूकता लाने  के साथ-साथ स्वयं आमजन को भी सजग होने की भी सख्त जरूरत है ।



मुकेश बोहरा अमन
साहित्यकार व सामाजिक कार्यकर्ता

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