हरवर्ष लाखों जैन अनुयायी आते है नेमीनाथ के द्वार गढ़ गिरनार


ASO news barmer
*देश ही नही* बल्कि दुनिया भर में अपने अद्भूत, अनुपम व अलौकिक सौन्दर्य , ऐतिहासिक विरासत व धार्मिक आस्था से जाना जाता है गढ़ गिरनार । गुजरात के जूनागढ़ जिले में गिरनार पर्वत स्थित है । इस पर्वत पर जैन व हिन्दु धर्म के मन्दिर बने हुए है । जहां पर जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमीनाथ भगवान का भव्य व मन को अनूठी शान्ति व शक्ति देने वाला जिन मन्दिर बना हुआ । भगवान नेमीनाथ के अलावा अन्य तीथंकरों के भी मन्दिर बने हुए है । गिरनार की तलहटी से पर्वत की ऊंचाई 3500 फीट है । गिरनार आने वाले नेम भक्तों को गिरनार पर्वत के ऊपर बने मंदिर के दर्शन के लिए 9999 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं । हालांकि अब सुविधाओं ने काफी विस्तार ले लिया है जिसके चलते गिरनार पर्वत पर देश का सबसे बड़ा रोपवे बना चुका है । जो वर्तमान में संचालन में है । इससे उम्रदराज श्रद्धालुओं को गिरनार पर्वत की यात्रा में काफी आसानी व सहूलियत होती है ।


*जैन धर्म के लिए क्यों खास है गिरनार ?*

*पालिताना और* सम्मेद शिखर के बाद गिरनार जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ हैं। यह एक बहुत ही पवित्र व रम्य स्थान है । जहां जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमीनाथ को केवलज्ञान व निर्वाण प्राप्त हुआ था । गिरनार जैन धर्माबलंबियों के साथ-साथ हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ है। हरे-भरे गिर वन के बीच पर्वत-शृंखला धार्मिक गतिविधि के केंद्र के रूप में बनती जा रही है। इन पहाड़ियों की औसत ऊँचाई 3,500 फुट है पर चोटियों की संख्या अधिक है। यहां पर जैन धर्म के आठ मुख्य मन्दिर अथवा स्थल है । जिसमें पांच टूंक शामिल है । यहां मल्लिनाथ और नेमिनाथ के मंदिर बने हुए हैं । यहीं पर सम्राट अशोक का एक स्तंभ भी है । भगवान नेमिनाथ की मंदिर की प्रतिमा वर्तमान में लगभग 84785 साल पुरानी है ।


*एशियाई सिंहों* के लिए विख्यात गिर वन राष्ट्रीय उद्यान इसी पर्वत के जंगल क्षेत्र में स्थित है। यहाँ के सिंहों की नस्ल भी अधिक विख्यात है जिनकी संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है। गिरनार में कई प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व के शिलालेख भी मिले है । पहाड़ी की तलहटी में एक बृहत चट्टान पर अशोक के मुख्य 14 धर्मलेख उत्कीर्ण हैं। इसी चट्टान पर क्षत्रप रुद्रदामन् का लगभग 150 ई. का प्रसिद्ध संस्कृत अभिलेख है। इन सब के अलावा ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी गिरनार का काफी महत्व है। गिरनार को जैन धर्म का सिद्ध क्षेत्र कहा जाता है ।


*नेमीनाथ में वैराग्य का पुण्योदय*

*जैन ग्रंथों के* अनुसार 22वें तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ का विवाह जूनागढ़ की राजकुमारी के साथ तय हुआ। वहीं बारात के समय में नेमीनाथ ने कई पशुओं को बंधा देखकर इसके बारे में पूछा, जिसके बाद पता चला कि कई मांसाहारी राजाओं के लिए इन बेजुबान और निर्दाेष पशुओं का मांस बनाया जाएगा, यह सुनकर तीर्थकर नेमीनाथ काफी दुखी हुए । इससे आहत् होकर उन्होंनें सांसारिक जीवन त्याग का निर्णय लिया और वे गिरनार पर्वत पर तपस्या करने चले गए । जहां उन्हें कठोर पस्या उपरांत केवल्यज्ञान की प्राप्ति हुई । नेमीनाथ का निर्वाण अर्थात् मोक्ष भी गिरनार पर्वत पर ही हुआ । उन्हें यहां निर्वाण प्राप्त हुआ ।


*गौरतलब है कि* प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को बड़े ही विशाल व भव्य स्तर पर गिरनार की परिक्रमा होती है, इस परिक्रमा में गिरनार के भव्य और विशाल के जंगल के दर्शन होते हैं। इस परिक्रमा के दौरान अन्य कई तीर्थस्थल भी पड़ते हैं। वर्ष में हर मौसम में यहां श्रद्धालु आते रहते है । गढ़ गिरतार की प्राकृति छटा व रम्यता सही मायनों में सदाबहार है । यहां जितनी बार आओ, उतनी बार नया और मन को शुकून देने वाला लगता है । इस पवित्र गिरनार जैसे पवित्र व पावन सिद्ध क्षेत्र से 22वें तीर्थकर नेमीनाथ समेत अनेकोनेक मुनियों ने भी मोक्ष प्राप्त किया था। इन सब की वजह से गढ़ गिरनार का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है और दूर-दूर से लोग इसके दर्शन के लिए यहां आते हैं। साथ ही ऐसी मान्यता भी है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन व सच्चे भाव से गिरनार के दर्शन करता है, उसकी मांगी गई हर मुराद, हर मनोकामना पूरी होती है।



*मुकेश बोहरा अमन*
*साहित्यकार व सामाजिक कार्यकर्ता*
बाड़मेर राजस्थान

Advertisement

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
Top