वडोदरा/16.09.2018
गुजरात में रहने वाले आचार्य समाज बंधुओं को एकता के सूत्र में बांधने का प्रयास करने वाली शख्सियत श्रीमती पारुल आचार्य  ( राष्ट्रीय  महिला उपाध्यक्ष अ.भा.आ.म.सेना ) बताती है कि गुजरात मे हमारे समाज के हजारों लोग रहते है जो कई साल पहले अपने बीवी बच्चों को लेकर रोजी रोटी कमाने  राजस्थान से  गुजरात आये  ऒर यही  पर  कमाने लगे और  अपने परिवार का पेट पालने लगे धीरे धीरे  अपनी महेनत से आगे बढ़ने लगे।
अब बात ये हुई उनके साथ की अब जब इन लोगों के बच्चे बड़े होने लगे गुजरात के माहौल में ढलने लगे जब बचे बड़े होने लगे  अब बात ये आई कि बच्चों की  शादी कहा करे राजस्थान के रूढ़िवादी गुजरात के बच्चों से शादी करने से मना करने लगे,  कबतक अपने बेटों बेटियो कुँवारा रखे , मजबूर होकर कुछ लोग दूसरे समाज मे शादी  कर रहे है क्योंकि गुजरात में अपने समाज के लोग एक दूसरे को जानते तक नहीं है इसीलिए यह परेशानी आई।
आचार्य समाज की ये हालत  आज गुजरात मे है, कुछ समाज बंधु अपनी जान पहचान करके आचार्य महाब्राह्मण के बच्चों की शादी करवाते हैं  कि कुछ की मजबूरी हो जाती है।
राजस्थान में हमारे समाज के बहुत सारे संगठन काम कर रहे हैं किसी भी संगठन ने गुजरात में रह रहे आचार्य महा ब्राह्मण जाति के लोगों के लिए कुछ सोचा????? 
सिर्फ फालतू  ढकोसले बाजी  की बातें  करते हैं  कभी समाज हित के बारे में इन संगठनों ने  सोचा क्या???? 
राजस्थान से गुजरात आए हुए मेरे समाज बंधुओं की परेशानी क्योंकि गुजरात के लोग कहते हैं आप मारवाड़ी हो और राजस्थान के लोग कहते हैं आप गुजराती हो हमारे समाज बंधुओं क्या करें अब राजस्थान से आए हुए लोगों के परिवार गुजरात में ही रहने लगे हैं उनके बच्चे भी जवान हो गए हैं इनके बेटे बेटी की शादी में दिक्कत आ रही है सब कुछ छोड़ कर वापस राजस्थान भी नहीं आ सकते क्योंकि दिन रात मेहनत करके लाखों रुपए की संपत्ति अर्जित की है और सारा काम धंधा यहां पर चालू किया है इतनी मेहनत से चालू किया हुए धंधे भला कोई कैसे छोड़ कर आ सकता है इसीलिए  एक ग्रुप बनाया जा रहा है  समाज का  ताकि  सभी समाज के लोग  इस ग्रुप से जुड़ सकें  अपने बेटे बेटी का रिश्ता  अपने ही समाज में कर सकते हैं।
हाल ही में इस संदर्भ में एक मीटिंग गुजरात वडोदरा में तारिक 16 सितंबर 2018 को हुई थी आचार्य समाज एकता हेतु इन मुद्दों पर चर्चा की गई जिसमें भरूच, सूरत, बडोदरा, दभोई के समाज बन्धु  गायत्री जोशी,विजय शर्मा, अमित शर्मा, मुकेश, घनश्याम, रधुनाथ, केशव, कमल, पुरुषोत्तम शर्मा शामिल हुुुए थे।
आगामी मीटिंग अहमदाबाद में प्रस्तावित है जिसमें समाज के और बंधुओं को आचार्य समाज एकता ग्रुप में जोड़ा जाएगा और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

वडोदरा से महावीर आचार्य की रिपोर्ट :
ASO NEWS

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2 comments:

  1. मुझे ऐसा लगता है की सर्वप्रथम तो मुझे पूजनीय पारुल जी को प्रणाम करना चाहिए जिन्होंने राजस्थान से बाहर हमारे समाज को एकता की माला में पिरोने का असंभव कार्य संभवत की ओर शुरू किया इस कार्य को मैं असंभव इसलिए कह रहा हूं कि जहां राजस्थान में महा ब्राह्मण समाज बाहुल्य ता से पाया जाता है वहां भी हमारा समाज एकता से बहुत दूर है यह पूर्णतया सत्य है कि गुजरात और राजस्थान से बाहर दूसरे सभी राज्यों में महा ब्राह्मण समाज के लोगों की कमी है आपस में उनकी जान पहचान नहीं है या नहीं के बराबर है कारण बिल्कुल सही है कि इनमें से अधिकतर परिवार राजस्थान से ही काम धंधे की तलाश या अन्य कुछ कारणों से गए यह बात भी पूर्णतया सत्य है कि उनका वापस आना असंभव है उनके बच्चों के रिश्ते नाते राजस्थान में उचित प्रतीत इसलिए नहीं होते कि समाज चाहे एक हो किंतु उनकी संस्कृति कुछ अलग हो रही है साथ ही निवास की दूरी एवं अन्य कई समस्याएं है जो उन्हें एक बार फिर समाज से दूर करने की कोशिशों में लगी है किंतु पारुल जी जैसे इंसान इस समाज में जब तक रहेंगे शायद यह दूरी कम होती जाएगी और समाज आपस में जुड़ता जाएगा वास्तव में यह एक प्रशंसनीय कार्य है जो अन्य सभी राज्यों में होना चाहिए साथ ही साथ एक वटवृक्ष की भांति इसे जोड़ने का काम राजस्थान से होना चाहिए और राजस्थान के महा ब्राह्मण भी आपस में एक सूत्र में जुड़ने का प्रयास करें जो समाज के लिए उत्तम होगा मैं यहां यह कहना चाहता हूं कि हमारा समाज राजस्थान में दिनोंदिन विकास की जगह गर्त की ओर धकेला जा रहा है समाज का पूर्व में भी मान-सम्मान इसलिए कम होता था कि कुछ जगह शायद लोग ऐसा काम करते थे जिसे हीन भावना से देखा जाता था हालांकि कुछ आवाज उठी उस काम को बंद करवाने की और जब आवाज उठाने वालों ने यह देखा कि सामने हमारे ही कुछ रिश्तेदार या जान-पहचान के लोग हैं जिनका हम बहुत ज्यादा आदर सत्कार करते हैं और हमारे अंदर उनका विरोध करने की ताकत नहीं है तो उस परिस्थिति में या अन्य जो भी परिस्थिति हो उस मुद्दे को दबा दिया गया कुल मिलाकर कुछ स्थिति में सुधार हुआ और कुछ जो बचची स्थिति थी उसे समाज ने स्वीकार कर लिया हाल ही में जयपुर जोधपुर बीकानेर और कुछ जगह से बड़े-बड़े समाजसेवी फिर एक मुद्दा सामने लेकर आए जिसमें उन्होंने बताया था कि हमारे समाज के कुछ लोग इतने नीचे गिर गए हैं की उन्होंने सफाई कर्मी की नौकरी भी ज्वाइन की है जोकि ब्राह्मण समाज से होने के कारण कतई हमारे लायक कार्य नहीं है किंतु जैसे ही समाजसेवी समाज बंधुओं द्वारा समाजसेवी अपने रिश्तेदारों या जान-पहचान वाले खास समाज बंधुओं के बच्चों या उनके परिवार जनों को सफाई कर्मी पद पर नौकरी ज्वाइन करते हुए देखा तो न केवल वे बड़े-बड़े समाजसेवी मुद्दे को भूल गए बल्कि उन्होंने इस बारे में अपनी मेमोरी तक को साफ करवा दिया यह भी सुनने में आया है कि कई जगह पर ऐसे नौकरी ज्वाइन करने वालों को सफाई से संबंधित समाज द्वारा भी अपना रिश्तेदार बताया गया और शादी रिश्ते करने का न्योता भी दे दिया क्योंकि जब उनका रोजगार छीन रहे हैं उनके जैसे बन रहे हैं उनसे पहले उनके जैसे बन रहे हैं तो रिश्ते नाते भी कर सकते हैं ऐसा उनका मानना है मेरी यह विनती है कि वह समाज के ठेकेदार या तो क्यों ना पहले की तरह आगे आकर सभी का विरोध करें चाहे वह उनका रिश्तेदार हो या केवल समाज बंधु हो साथ ही क्यों न उन्हें प्रेरित करें कि वह थोड़ा सा और बढ़कर अच्छी नौकरी ज्वाइन करें मुझे अपने आप में इतनी ताकत तो महसूस नहीं होती कि मैं अकेला समाज सुधार दूंगा पर मैं केवल यह कोशिश करना चाहता हूं कि इस समाज को अंधेरे से निकलकर रोशनी की तरफ ले जाने वाले दीपक का रास्ता केवल दिखा दूं इसलिए मैं उन्हें दोबारा जगाना चाहता हूं अगर ऐसा लगता है कि वास्तव में सफाई कर्मी की नौकरी ज्वाइन करके उन्होंने गलत काम किया है तो क्यों न उन्हें जागृत किया जाए उन्हें उस नौकरी को छोड़कर अच्छी नौकरी के लिए प्रेरित किया जाए या अगर वह समाज से अलग है तो उनसे सामाजिक दूरी रखी जाए धन्यवाद

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