इंसान को प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा मिलना शुरू हो चुका है........!?

गर्मी के प्रकोप से लोग मर रहे हैं!


आज गर्मी से बेहाल लोग यह कहते हुए पाए जाते हैं कि इतनी भयंकर गर्मी कैसे पड़ रही है और हम लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर इस भयंकर गर्मी से कैसे बचें ?


इस भयंकर गर्मी का कारण भी हम इंसान ही है यह एक उदाहरण है प्रकृति में असंतुलन का।


प्रकृति हमें अभी भी चेतावनी दे रही है और अगर हम अभी भी नहीं सुधरे तो भविष्य में नतीजे इससे भी खतरनाक होंगे।

एसी व कूलर से इस गर्मी से हम कभी नहीं निपट सकते हैं और गर्मी तो सिर्फ एक उदाहरण है इसके अलावा भी कईं ऐसी आपदाएं हैं जो प्राकृतिक असंतुलन के कारण पैदा होती है भूकंप, बाढ़, सूखा अकाल इत्यादि।


इन सब का एक ही इलाज है और वह है प्राकृतिक समन्वय मतलब प्रकृति को पुनः उसके संतुलन में लाना होगा।

और यह काम और कोई नहीं हमको ही करना होगा जिसके लिए सबसे सरल व पहला कार्य है ज्यादा से ज्यादा संख्या में पेड़ पौधे लगाकर उनका संरक्षण करना।


अपने घरों व आसपास खुले मैदानों में, सड़कों के किनारों पर, छोटे बड़े बगीचों, ऑफिस व दुकान हर जगह जितना हो सके अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने का प्रयास करें तो कुछ ही सालों में अभी जो भयंकर तापमान व गर्मी दिखाई दे रही है उसमें 10% की कमी एक बार में ही लाई जा सकती है। इसके अलावा भी अन्य प्राकृतिक आपदाओं में भी कमी लाई जा सकती है।

हम चाहे तो यह काम 1 दिन में भी कर सकते हैं या चाहे तो कई महीनों में कर सकते हैं चाहे तो कई सालों में कर सकते हैं और नहीं चाहे तो कुछ किए बिना ही बस इस का रोणिया रो सकते हैं और कुछ नहीं।


फैसला हमारे खुद के हाथ में है आज हमारे देश की पोपुलेशन 135 करोड़ है और अगर हम चाहे तो हर परिवार अपने सदस्यों की संख्या के जितने पेड़ पौधे लगाएं वो भी एक ही दिन में एक साथ तो यह 1 दिन में भी संभव है इसी तरह दुनिया भर की आबादी अपने-अपने क्षेत्रों में इस प्रकार से हरियाली बिछा दे तो बहुत कुछ संभव है नहीं तो कुछ भी नहीं।

मेरी इस बात को गौर से एक बार सोचिएगा जरूर और ज्यादा कुछ ना कर सकें तो कम से कम अपने हाथों से एक पौधा जरूर लगाइएगा।


इस बात को शेयर करते हुए हर इंसान तक जरूर पहुंचाएं कुछ तो बदलाव आएगा।


हरी भरी धरती....

खुशहाल जिंदगी।


महावीर आचार्य की फेसबुक वाल से......

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