राजस्थान में करीब 20 लाख स्टूडेंट्स कॉलेज व यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं। ये छात्र यूजीसी के परीक्षा कराने और सरकार के परीक्षा नहीं कराने के फैसले के बीच फंसे हैं। यूनिवर्सिटी और कॉलेज के छात्र NoMoreWaitUGC और #StudentsLivesMatter हैश टैग के जरिए मुखर हो रहे हैं। छात्रों ने चेंज डॉट ओआरजी पर ऑनलाइन पिटिशन भी दायर की है। अब तक 2.50 लाख से ज्यादा छात्र हस्ताक्षर कर चुके हैं। छात्रों ने ऑनलाइन पिटिशन में लिखा-हम छात्र हैं, टेस्टिंग किट नहीं। कुछ छात्रों ने लिखा-छात्रों को डिग्री चाहिए। डेथ सर्टिफिकेट नहीं। यूजीसी के फैसले के विरोध में छात्राें ने लिखा है कि प्राण जाए पर परीक्षा न जाए। यूजीसी और सरकार के फैसले पर एक्सपर्ट्स की राय भी अलग-अलग हैं।
दैनिक भास्कर ने एक्सपर्ट्स से बातचीत करके यह समझने की कोशिश की है कि कॉलेज व यूनिवर्सिटी की एग्जाम हो सकते हैं या नहीं। अगर एग्जाम नहीं होती है तो सरकार के पास फॉर्मूला क्या है। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। कोर्ट ने यूजीसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस पर सुनवाई 31 जुलाई को होगी।

जब इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को ग्रेड दे सकते हैं तो कॉलेज/यूनिवर्सिटी में क्यों नहीं

कोरोना वायरस के दौर में एग्जाम हो ही नहीं सकते। यूजीसी काे हमने लिखकर दे दिया है। यूजीसी पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय हावी है। इस वजह से फैसले भी ऐसे ही आ रहे हैं। एक शिक्षक सालभर पढ़ाता है। उसे पता है कि कौनसा छात्र पढ़ाई में कितना होशियार है। उससे छात्र का असेसमेंट लिया जा सकता है। दूसरा फॉर्मूला यह है कि छात्र को मार्क्स के बजाए ग्रेड दिया जाए। जब इंजीनियरिंग के छात्रों को ग्रेड दिया जा सकता है कॉलेज व यूनिवर्सिटी के छात्रों को क्यों नहीं? मार्कशीट के पीछे एक फॉर्मूला दिया जा सकता है, जिसके आधार पर मार्क्स पता किए जा सकते हैं। फर्स्ट ईयर के छात्र को प्रमोट कर दिया जाए।

बोर्ड व आरपीएससी के एग्जाम हो सकते हैं तो कॉलेज के क्यों नहीं

640 यूनिवर्सिटी में से 454 एग्जाम करा चुकी हैं तो बाकी कह रह रही है कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा। सरकार का फैसला बिल्कुल भी ठीक नहीं है। जिन छात्रों की मार्कशीट में प्रमोटी लिखा होगा, वह कही नौकरी के लिए जाएगा तो उसे कोरोना वाला बच्चा मानकर देखा जाएगा। शिक्षा राजनीतिक मुद्दा नहीं है। बोर्ड और आरपीएससी के एग्जाम हो सकते हैं तो कॉलेज के एग्जाम भी हो सकते हैं। मूल्यांकन के तरीके पर बहस होनी चाहिए, लेकिन बहस हो रही है यूजीसी के फैसले पर। अगर सर्वे कराया जाए तो पता चलेगा कि 60 फीसदी छात्र परीक्षा कराना चाहते हैं।

शिक्षा राज्य का विषय, एग्जाम लाखों स्टूडेंट्स के जीवन से ज्यादा जरूरी नहीं है

शिक्षा राज्य का विषय है। लाखों स्टूडेंट्स के जीवन से ज्यादा एग्जाम जरूरी नहीं है। मैं एग्जाम को लेकर बनाई गई कुलपति समन्वयक समिति का सदस्य हूं। फर्स्ट ईयर के छात्र को प्रमाण पत्र देंगे कि परीक्षा नहीं ली गई है और आपको सैकंड ईयर में प्रमोट किया जाता है। सैकंड व फाइनल ईयर के छात्र को पिछली एग्जाम के मार्क्स के आधार पर उसे अंक दिए जाएंगे। अब दिक्कत वहां है, जहां किसी छात्र को पेपर ड्यू हैं। उसे अन्य पेपर के अंकों के आधार पर नंबर दे दिए जाए। हमने सरकार को एक सुझाव और दिया है कि उदाहरण के लिए, कोई छात्र सैकंड ईयर में बीमार होने के कारण तैयारी नहीं कर पाया था और उसके मार्क्स कम आए। उसे लगता है कि फाइनल ईयर में नंबर कम आए है और एग्जाम होते तो अच्छे मार्क्स ला सकता था तो हम उसे अगले साल एग्जाम में बैठने का मौका दे सकते हैं।

उच्च शिक्षा के भविष्य को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब यहां पढ़िए

यूजीसी की गाइड लाइन क्या है?
1 टर्मिनल सेमेस्टर/फाइनल ईयर परीक्षा सितंबर 2020 के अंत तक आयोजित कराई जाएगी। ये परीक्षाएं संस्थान अपनी सुविधा के अनुसार, ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड से करा सकते हैं।
2 छात्र/छात्रा फाइनल परीक्षा में भाग न ले पाएं तो उन्हें विवि या संस्थान द्वारा आयोजित होने वाली विशेष परीक्षा में भाग लेने का मौका दिया जाए। यह व्यवस्था सिर्फ 2019-20 के लिए मान्य होगी।
3 बाकी परीक्षाएं जैसे, बीए प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष/प्रथम सेमेस्टर या द्वितीय सेमेस्टर के लिए 29 अप्रैल, 2020 को यूजीसी की ओर से जारी की गई गाइडलाइन्स ही मान्य होंगी।

क्या ऑनलाइन परीक्षा हो सकती है, सरकार के पास विकल्प क्या है?
1 राजस्थान के बड़े शहरों में परीक्षाएं ऑनलाइन हो सकती है, लेकिन छोटे कस्बों व गांवों में यह मुमकीन नहीं है।
2 सरकारी व निजी स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाकर सोशल डिस्टेंस के परीक्षा कराई जा सकती है। जैसे बोर्ड की परीक्षाएं कराई गई और अब आरपीएससी की एग्जाम होगी।
3 छात्रों को अलग-अलग बैच में बांटकर परीक्षा कराई जा सकती है। इसमें खर्चा और समय ज्यादा लगेगा।

क्या परीक्षाएं नहीं कराई जा रही?

  • बार काउंसिल ने साफ किया है कि लॉ की एग्जाम होगी। वहां डिग्री पर संकट खड़ा हो जाएगा।
  • फार्मेसी एग्जाम कराई जाएगी। स्टूडेंट्स के सामने कॅरिअर को लेकर संकट खड़े हो सकते हैं।
  • इंजीनियरिंग की परीक्षाएं होगी। क्योंकि; विदेश जाने वाले छात्रों को वैटेज नहीं मिल सकेगा। जेएनयू व सभी ने ऑनलाइन एग्जाम कराने शुरू कर दिए है।
  • वनस्थली विद्यापीठ समेत कई विवि ने एग्जाम ऑनलाइन कराए हैं। कई विवि ऐसी हैं, जिनमें एक-दो पेपर बचे हैं।

सरकार यूजीसी का फैसला नहीं मानती है तो?: सरकार यूजीसी का फैसला नहीं मानती है तो स्टूडेंट्स की डिग्री अमान्य हाे सकती है। क्योंकि-यूजीसी गाइडलाइन की पालना करने सरकारें बाध्य है। हालांकि अब सरकार फैसला यूनिवर्सिटी पर छोड़ देगी।
विवाद लंबा चला तो छात्रों के सामने दिक्कत होगी?: जिस तरह से कोरोना के केसेज बढ़ रहे हैं, यह अब भी साफ नहीं है कि सितंबर में एग्जाम होंगे ही। ऐसे में लगातार तारीख बढ़ीं तो स्टूडेंट्स का एकेडमिक ईयर खराब होने का भी डर है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
2.50 Lakh Students Not Written For Examination- Wanted Degree, Not Death Certificate
Via Dainik Bhaskar https://ift.tt/1PKwoAf

Advertisement

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
Top