भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने बुधवार को कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कोरोना और कांग्रेस देश के लिए सबसे बड़ा संकट है। प्रदेश में बजरी माफिया सक्रिय है और रेप्स के मामले बढ़ते जा रहे हैं। सरकार दो सप्ताह से होटल में मौज कर रही है।

भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए पूनियां ने कहा कि लगता है सीएम अशोक गहलोत और उनकी सरकार पीएम, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा पर हमले करते हुए थक गई है इसलिए राज्यपाल पर हमले कर रही है। जबकि राज्यपाल का कद राजनीति से काफी ऊपर होता है।

उन्होंने कहा कि सरकार में बैठे हुए मंत्री किसी आम कार्यकर्ता से भी ज्यादा निम्न भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल ने अपनी मंशा साफ कर दी है, लेकिन जिस तरीके की जिद कांग्रेस कर रही है, वो निंदनीय है। 21 दिन के नोटिस के जरिए सत्र बुलाने की एक विधिवत प्रक्रिया होती है। इसके अलावा विधायकों के भी अपने अधिकार हैं जो सदन ने उनको दिए हैं।

नेतृत्व विवाद को कथित राजद्रोह के फर्जी प्रकरणों में बदला : राठौड़

राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने बुधवार को कहा कि प्रदेश में सत्तारूढ़ दल द्वारा स्वयं के नेतृत्व विवाद को कथित राजद्रोह के फर्जी प्रकरणों में परिवर्तित करके ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न कर दी है, जिससे सत्ता के आन्तरिक विवाद को दबाने हेतु पुलिस की शक्तियों का दुरूपयोग करते हुए सत्तारूढ़ दल के चुने हुए विधायकों को सदन में आने से जबरन रोक दिया जाए।
राठौड़ ने कहा कि राज्यपाल ने राज्य सरकार को इन गंभीर परिस्थितियों में संविधान प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए सरकार को पुनः स्पष्ट सूचित किया है कि अगर राज्य सरकार को विश्वास मत प्राप्त करना है तो वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण को देखते हुए सामाजिक दूरी रखते हुए विधानसभा के अल्पकालीन सत्र को बुलाए जाने की युक्तियुक्त कारण से इंकार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार को सदन में बहुमत का समर्थन होने का बिन्दु सार्वजनिक रूप से विवादित है। मुख्यमंत्री अपने साथ बचे हुए मंत्रीगण एवं विधायकों के साथ जयपुर से 20 किलोमीटर दूर जाकर शरण लिए हुए हैं। जिन 6 बसपा विधायकों को बसपा का कांग्रेस (राजस्थान विधानसभा) नामक काल्पनिक दल में विलय दिखाकर जबरन उन पर कांग्रेसी विधायकों का ठप्पा लगाया गया है, क्या वह संविधान पर हमला नहीं माना जाए। अब मुख्यमंत्री को यह अधिकार नहीं रह गया है कि वह मंत्री मण्डलीय राय के नाम पर सदन आहूत करने के लिए राज्यपाल पर अनावश्यक दबाव बनाए।



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