जयपुर शहर काे स्वच्छता सर्वेक्षण में पहले पायदान पर लाने के लिए नगर निगम के अधिकारियाें द्वारा शुरू की गई नाइट स्वीपिंग ही काेराेना वायरस की चपेट में आ गई है। दरअसल सांगानेर, विद्याधनगर, सिविल लाइन, हवामहल ईस्ट और माेतीडूंगरी जाेन के अधिकतर अफसर-कर्मचारी काेराेना वायरस की चपेट में आने से निगम का काम काज प्रभावित हाेने लगा है। अफसराें की माैजूदगी के बिना माॅनिटरिंग नहीं हाेने से नाइट स्वीपिंग का काम ठप हाे गया है। शहर में कचरा-गंदगी के ढ़ेर लगे पड़े है।
भले ही स्वच्छता सर्वेक्षण में जयपुर शहर का अब तक सबसे बेस्ट रेंक मिली है। लेकिन हालात शहर के सुधरे नहीं है। नगर निगम ग्रेटर और नगर निगम हैरिटेज में सीईओ के पद पर दिनेश यादव और लोकबंधु ने ज्वाइन करने के बाद सभी जोन अधिकारियों और सर्वेक्षण से जुड़े अधिकारियों के साथ मीटिंग की थी। मीटिंग में दोनों अधिकारियों ने सभी अधिकारियों को शहर में कोरोना वायरस के कारण बंद हुई नाइट स्वीपिंग फिर से शुरू करने के निर्देश दिए थे।
पिछले सप्ताह नगर निगम के अधिकारियों ने काॅमर्शियल इलाकों में नाइट स्वीपिंग का काम करना शुरू किया था। तीन दिन तक सफाईकर्मियों ने नाइट स्वीपिंग का काम भी किया। लेकिन जब अधिकारियों ने मॉनिटरिंग करन बंद कर दिया तो शहर में फिर से नाइट स्वीपिंग का काम बंद हो गया।
डोर-टु-डोर 1400 टन कचरा उठता है शहर में प्रतिदिन
शहर में कचरे के संग्रहण की जिम्मेदारी नगर निगम ने बीवीजी कंपनी को दे रखी है। बीवीजी कंपनी कचरे संग्रहण करने में फेल हो चुकी है। इसके बाद निगम के अधिकारी कंपनी पर कार्रवाई करने के बजार हर माह भुगतान कर देते है। शहर में प्रतिदिन कंपनी द्वारा 1400 टन कचरे का डोर टु डोर संग्रहण किया जाता है। फिर भी शहर में कचरे के ढ़ेर लगे हुए है।
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