सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि MBBS, एमडी या डेंटल कोर्स में दाखिले के लिए यूनिफॉर्म एग्जाम NEET ही होगा :-

- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा कि NEET के जरिये मेडिकल और डेंटल कोर्स में दाखिले का जो फैसला लिया गया था वह एडमिशन में करप्शन को खत्म करने के लिए लिया गया है और यह दाखिला प्रक्रिया यूनिफॉर्म और सही है।

- क्या है पूरा मामला विस्तार से जानते है :-

1. NEET ( National Eligibility cum Entrance Test )की परीक्षा :-

- भारत में चिकित्सा-स्नातक के पाठ्यक्रमों (एमबीबीएस , बीडीएस आदि) में प्रवेश पाने के लिये एक अर्हक परीक्षा (qualifying entrance examination) होती है जिसका नाम राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) है।

- देश के सभी मेडिकल कॉलेज , केंद्र सरकार द्वारा संचालित , राज्य सरकार द्वारा संचालित , निजी कॉलेज या कोई अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए सिर्फ एक NEET की ही परीक्षा कराई जाएगी , और NEET में पास होने के बाद इन सभी कॉलेज में अंको के आधार पे प्रवेश मिलेगा , इसके अलावा कोई अलग से परीक्षा नही होगी ।

- पहली बार NEET की परीक्षा का आयोजन 2013 में किया गया था । और साल में एक बार यह परीक्षा होती है ,और इसी के जरिये मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है ।

- 2013 से 2018 तक NEET का आयोजन CBSE बोर्ड द्वारा किया जाता था , CBSE बोर्ड मानव संसाधन मंत्रालय के अधीन आता है ।
- लेकिन 2019 से NEET की परीक्षा के आयोजन का जिम्मा NTA ( National Testing Agency) को सौंपा गया है , यह एजेंसी भी मानव संसाधन मंत्रालय के अधीन है ,और इसकी स्थापना नवम्बर 2017 में की गई थी । JEE की परीक्षा भी अब NTA ही कराएगी ।

2. NEET को क्यों लाया गया :-

- इससे पहले 'AIPMT' (ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट) की परीक्षा होती थी। यह परीक्षा देशभर में एक साथ होती थी। इस परीक्षा में आए अंकों के आधार पर ही छात्रों को केवल केन्द्र सरकार द्वारा संचालित मेडिकल संस्थानों में प्रवेश दिया जाता था।

- लेकिन राज्य सरकार के कॉलेज में प्रवेश के लिए छात्रों को अलग से परीक्षा देनी पड़ती थी , इसके अलावा कुछ निजी या अल्पसंख्यक समुदाय की मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए छात्रों को अलग परीक्षा देनी पड़ती थी ,इस प्रकार छात्रों को 5 से 7 प्रकार के अलग अलग पाठ्यक्रम वाली परीक्षाएं देनी पड़ती थी , इससे छात्रों को बहुत दिक्कत होती थी ।

- साथ ही निजी कॉलेज वाले प्रवेश के लिए डोनेशन के रूप में भी पैसे लेते थे छात्रों से , और तो और काउंसलिंग भी सबकी अलग होती थी और बहुत समय खराब हो जाता था छात्रों का भी ।

- इन अलग अलग परीक्षाओ में अनेक धांधलियां होती थी ,जैसे भ्रष्टाचार , दूसरे समुदाय के छात्रों को सीट न देना इत्यादि ।

- इन सभी को देखते हुए सरकार ने देश भर की सभी प्रकार की मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए सिर्फ एक परीक्षा NEET को शुरू किया , ताकि पारदर्शिता अधिक हो , धांधलियां बिल्कुल न हो ,और प्रवेश को लेके हो रहे भ्रष्टाचार को भी रोक जा सके ।

3. अब मामला सुप्रीम कोर्ट में कैसे पहुचा :-

- तमिल नाडु के एक शहर वेल्लोर में Christian Medical college नाम का एक अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय का एक कॉलेज है , यह कॉलेज भी NEET परीक्षा के आने से पहले अपने कॉलेज में छात्रों को प्रवेश देने के लिए अलग से अपनी खुदकी एक परीक्षा कराता था ।

- लेकिन NEET ने इस कॉलेज से यह अलग से परीक्षा कराने पे प्रतिबन्द लगा दिया , और बदले में यह कॉलज सुप्रीम कोर्ट पहुच गया , और कोर्ट में इन्होंने निम्न तर्क दिए :-
A. अनुच्छेद 19 (1) (g) के तहत हर नागरिक को हक़ है के वह अपने हिसाब से देश के किसी भी कोने में , किसी भी प्रकार का व्यापार , व्यवसाय (कानूनी तौर पे ) इत्यादि कर सकता है अपने हिसाब से बिना किसीकी रोक टोक के ।

B. अनुच्छेद 25:- इसके तहत भारत में प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने की, आचरण करने की तथा धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता है।
- अब क्योंकि यह ईसाइयों के कॉलेज है , तो उन्होंने कहा के हमारे ऊपर प्रतिबन्द लगाना हमारे मौलिक अधिकार के इस अनुच्छेद 25 का उल्लघन है ।

C. अनुच्छेद 26 , 29 और 30 ( सार तीनो का ) :- धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक-वर्र्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।
- Christian medical college वालो ने कहा के परीक्षा कराने का हक़ हमसे छीन लेना इन सभी अनुच्छेदों का उल्लघंन है , और हमे अधिकार दिया जाए के हम अपने कॉलेज की प्रवेश परीक्षा NEET के साथ न करके अलग से स्वतंत्र रूप से करवाये ।

4. सुप्रीम कोर्ट का फैसला :-

- सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल ,2020 को इस मामले पे अपना फैसला सुनाया और फैसले में इस कॉलेज के सभी तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ NEET की परीक्षा ही होगी जिससे सभी कॉलेज में प्रवेश मिलेगा ,और अलग से किसी कॉलेज को परीक्षा कराने का कोई हक नही है ।

- सुप्रीम कोर्ट ने NEET की परीक्षा के पक्ष में निम्न तर्क दिए :-

A. अनुच्छेद 19 (1)(g) :- इसके तहत नागरिक को हक़ तो है व्यापार करने का ,लेकिन अगर उसके व्यापार से एक बड़े समुदाय ,जैसे छात्र वर्ग , को नुकसान पहुच रहा है तो सरकार उस व्यवसाय पे कुछ प्रतिबन्ध लगा सकती है ।
- कोर्ट ने कहा के NEET की परीक्षा सबके लिए समान है ,इसमे किसीके साथ कोई भेदभाव नही किया जाता है ,और परिणाम पूरा पारदर्शी होता है । 
- और प्रवेश में चल रहे भ्रष्टाचार , धांधलियां , शिक्षा का व्यापार करना इत्यादि को रोकने के लिए NEET की परीक्षा का कदम सही है । 

 B. अनुच्छेद 29 और 30 :- कोर्ट ने कहा के अल्पसंख्यक वर्ग को भी अधिकार है अपनी संस्था खोलने और चलाने का , और इन कॉलेजो से निकलने वाले डॉक्टर ही आगे जाके देश का स्वास्थ्य क्षेत्र चलाएंगे , अगर धांधलियों से प्रवेश दिए गए तो देश मे अच्छे डॉक्टर नही होंगे ,और देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को भी यह एक खतरा है ।

-  अब क्योंकि सार्वजनिक हित और सार्वजनिक स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की है और यह जिम्मेदारी सरकार को नीति निदेशक तत्व भी देते है  , इसलिए देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतर लोग ही आये इसकी जिम्मेदारी भी सरकार की है  ,इसलिये सरकार इन सभी कॉलेजो की आधारभूत सरंचना को बदलने का और उसपे निगरानी रखने का पूरा हक रखती है । 

- इसलिए कोर्ट ने कहा के कॉलेज वालो के सभी तर्क गलत है , और कोर्ट के इस फैसले से कोई भी अल्पसंख्यक संस्था के संवैधानिक हक़ का किसी प्रकार का कोई भी उल्लंघन नही होता है । 

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